Tuesday, 16 August 2016

गुड़ का सेवन

        गुड़ का सेवन करने से शरीर में होने वाले कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। मिठाई और चीनी की अपेक्षा गुड़ अधिक लाभकारी है। आज कल चीनी का प्रयोग अधिक होने के कारण से गुड़ के उपयोग कम ही हो रहा है। गन्ने के रस से गुड़ बनाया जाता है। गुड़ में सभी खनिज द्रव्य और क्षार सुरक्षित रहते हैं।

          गुड़ से कई प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं जैसे- हलुआ, चूरमा तथा लपसी आदि। गुड़ खाने से थकावट मिट जाती है। परिश्रमी लोगों के लिए गुड़ खाना अधिक लाभकारी है। मटके में जमाया हुआ गुड़ सबसे अच्छा होता है।

पुराना गुड़ का गुण : पुराना गुड़ हल्का तथा मीठा होता है। यह आंखों के रोग दूर करने वाला, भुख को बढ़ने वाला, पित्त को नष्ट करने वाला, शरीर में शक्ति को बढ़ाने वाला और वात रोग को नष्ट करने वाला तथा खून की खराबी को दूर करने वाला होता है।

नया गुड़ से हानि : नया गुड़ कफ, खांसी, पेट में कीडे़ उत्पन्न करने वाला तथा भुख को बढ़ाने वाला होता है।

गुड़ का प्रयोग दूसरे पदार्थों के साथ सेवन करने पर इसके गुण :

          अदरक के साथ गुड़ खाने से कफ खत्म होता है। हरड़ के साथ इसे खाने से पित्त दूर होता है तथा सोंठ के साथ गुड़ खाने से वात रोग नष्ट होता है।

विभिन्न भाषाओं में गुड़ का नाम :

संस्कृत गुड़
हिन्दी गुड़
अंग्रेजी ट्राकले
बंगाली गुड़
मराठी गूल
गुजराती गोड़
तेलगू वेल्लामु
फारसी     .कन्देसिया
अरबी       कन्देअस्वद


रंग : गुड़ का रंग लाल पीला, काला और सफेद होता है।

स्वाद : इसका स्वाद मीठा होता है।

स्वरूप : गन्ने का रस निकालकर इसे आग पर पकाकर गुड़ बनाया जाता है।

वैज्ञानिक मतानुसार : 100 ग्राम गुड़ में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खनिज द्रव्य होता है। चीनी में खनिज द्रव्यों और क्षारों का अभाव होता है। इसलिए चीनी की अपेक्षा गुड़ खाना अधिक लाभकारी होता है। गुड़ में बिटामिन `बी´-1, `बी´-2, विटामिन `सी´ और अल्पमात्रा में विटामिन `ए` होता है।

प्रकृति : गुड़ की गर्म होती हे।

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