Wednesday, 10 August 2016

आंतों के रोग का कारण व लक्षण


बिना चबाए भोजन निगलनेवालों,लगातार कुछ-न-कुछ खाते रहनेवालों, पानी कम पीनेवालों, चिकनाई
 कम सेवन करनेवालों का आतों के रोग की चपेट में आना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। ज्यादा गरिष्ठ भोजन आंतों की कार्यप्रणाली को बिगाड़ देता है। रोग गंभीर होने पर ऑपरेशन भी करवाना पड़ सकता है। आतों में कई प्रकार के रोग हो सकते हैं-जैसे आंतों में जलन, जख्म, सूजन, पीड़ा व आंत्र ज्वर।

आंतों के रोग का उपचार

1. सेवः सेव खाने से आतों के जख्म ठीक हो जाते हैं व सूजन मिट जाती है। सेव का रस पीने से आतों के घावों में आराम मिलता है।

2. बेरः बेर ठंडा व रक्तशोधक फल है। इसके सेवन से आतों के घाव ठीक हो जाते हैं।

3. संतराः आंत के रोगियों को नित्य एक गिलास संतरे का रस पीना चाहिए।

4. चुकंदर व गाजर का रसः बड़ी आंत की सूजन में 185 ग्राम गाजर का रस 150 ग्राम चुकंदर का रस व लगभग 160 ग्राम खीरे का रस मिलाकर पीने से काफी आराम मिलता है।

5. नारंगीः नारंगी गर्मी शांत करनेवाली होती है। आत्रज्वर के रोगी को दूध में नारंगी का रस मिलाकर पिलाएं या फिर दूध पिलाकर नारंगी खिलाएं दिन में कई बार नारंगी खिलाएं। इससे आत्रज्वर में काफी राहत मिलती है।

6. मौसमीः आत्रज्वर में मौसमी का सेवन लाभदायक होता है।

7. केलाः आत्रज्वर के रोगियों को केला काफी मात्रा में खाना चाहिए। इससे बहुत लाभ होता है। इससे आंतों की सूजन भी समाप्त हो जाती है।

8. अनारः अनार खाने से आतों के विभिन्न रोगों में लाभ होता है।

9. बेलः पेट के भीतर की बड़ी आंतों में सूजन आ गई हो तो बेलपत्र का रस तथा बेलगिरी का हलवा साथ में लीजिए। पहले रस पी जाइए फिर पके हुए बेल का गूदा या हलवा खा जाइए। बेलपत्र का रस सूजन व घावों का इलाज करेगा तथा गूदे का हलवा सब कुछ पूर्ववत बना देगा।

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