जुकाम से बार-बार आक्रान्त होने की व्याधि असंख्य नर-नारियों में पायी जाती है। इसका कारण आहार-बिहार का प्रदूषण, भोजन में अम्ल और मधुर रसों का अति सेवन है। खच्चे, नमकीन, चटपटे, गुड़, बूरा, अन्यान्य मिठाइयाँ एवं फास्टफूड के अति सेवन से रस धातु दूषित हो जाती है अथवा इसकी अतिशय वृद्धि हो जाती है। उपद्रवस्वरूप स्न्नोफीलिया,
श्वसन एलर्जी एवं ब्रंकियल अस्थमा-यक्ष्मा में परिणत होती है।पाश्चात्त्य चिकित्सा पद्धति में इससे स्थायी रूप से छुटकारा पाने के लिए अब तक कोई चिकित्सा नहीं है। यहाँ एक सिद्ध योग दिया जा रहा है, जिससे रोगियों को लाभ मिलेगा —
🔹रसमाणिक्य 20 ग्राम
🔹महालक्ष्मीविलास रस 5 ग्राम
🔹अभ्रकभस्म सहस्रपुठित 2 ग्राम
🔹लघु बसंतमालती 5 ग्राम
🔹बृहत् श्रृंगारारस 10 ग्राम
🔹प्रवालपिष्टि 10 ग्राम
🔹तालिसादि चूर्ण 50 ग्राम
🔹पुष्करमूल चूर्ण 50 ग्राम
इन समस्त औषधियों को को एक घंटा खरलकर चालिस पुड़िया बना लें। 1-1 पुड़िया सुबह-शाम मधु से लें। दशमूलारिष्ट और द्राक्षारिष्ट 2-2 चम्मच दूना जल मिलाकर खाने के बाद लें। अगस्त्य हरितकी एक चम्मच रात को एक गिलास उष्ण जल से लेने के बाद आधा किलो गोदुग्धादि पीवें। दुग्ध में दो बड़ी पीपर उबालना लें। पित्त प्रवृति हो तथा उष्णता अधिक प्रतीत हो एक छोटी पीपर उबाल कर पीवें। आवश्यकतानुसार 2 से 4 माह तक इनके सेवन से जीवन भर के लिए जुकाम से निवृति हो जाती है।
श्वसन एलर्जी एवं ब्रंकियल अस्थमा-यक्ष्मा में परिणत होती है।पाश्चात्त्य चिकित्सा पद्धति में इससे स्थायी रूप से छुटकारा पाने के लिए अब तक कोई चिकित्सा नहीं है। यहाँ एक सिद्ध योग दिया जा रहा है, जिससे रोगियों को लाभ मिलेगा —
🔹रसमाणिक्य 20 ग्राम
🔹महालक्ष्मीविलास रस 5 ग्राम
🔹अभ्रकभस्म सहस्रपुठित 2 ग्राम
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🔹बृहत् श्रृंगारारस 10 ग्राम
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🔹तालिसादि चूर्ण 50 ग्राम
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इन समस्त औषधियों को को एक घंटा खरलकर चालिस पुड़िया बना लें। 1-1 पुड़िया सुबह-शाम मधु से लें। दशमूलारिष्ट और द्राक्षारिष्ट 2-2 चम्मच दूना जल मिलाकर खाने के बाद लें। अगस्त्य हरितकी एक चम्मच रात को एक गिलास उष्ण जल से लेने के बाद आधा किलो गोदुग्धादि पीवें। दुग्ध में दो बड़ी पीपर उबालना लें। पित्त प्रवृति हो तथा उष्णता अधिक प्रतीत हो एक छोटी पीपर उबाल कर पीवें। आवश्यकतानुसार 2 से 4 माह तक इनके सेवन से जीवन भर के लिए जुकाम से निवृति हो जाती है।
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