Wednesday, 25 November 2015

Tridoshic Dal



A special dal that helps balance all three doshas, digest toxins and clean up channels. This easy to digest dal can be taken regularly.
iIngredients
    1 cup split mung dal
    8 cups water
    2 cups summer squash, in ¼ to ½ inch slices
    1 cup carrots, in ¼ to ½ inch slices
    1/8 teaspoon hing
    teaspoon of coriander powder
    2 tablespoons sunflower oil or ghee
    ¼ teaspoon of turmeric
    1 tablespoon lime or lemon juice
    1 teaspoon sea salt
    ½ tablespoon fresh ginger root, minced
    1 small hot green pepper, chopped finely (omit for pitta, and easy on this for vata)
    ½ teaspoon cumin seeds
    ½ teaspoon to 1 table spoon black mustard seeds(the smaller amount for pitta, the greater amount for vata and kapha)
    Garnish: Fresh coriander leaves

Method of Preparation
    Wash dal until rinse water is clear. Wash and chop vegetables.
    Warm one tablespoon oil or ghee is large heavy saucepan.
    Add hing and cumin seeds for sputter. Then add all the spices and two teaspoonful of water. Sauté for 30 seconds over low heat (be careful, it is easy for spices to burn).
    Stir in the beans and sauté for another 1 to 2 minutes. Add chopped vegetables and stir another minute or two.
    Add water, salt, ginger and pepper (if you are using it), bring to a boil on high heat. Then cover and reduce heat to medium low.
    Let soup simmer for 45 minutes or until beans have dissolved.
    Warm remaining tablespoon of oil or ghee in a small skillet, add cumin and mustard seeds, heat until these seeds being to pop. Add to soup, which is now ready to serve.
    Garnish with fresh chopped coriander leaves.

Medicinal Properties
It is very light and easy to digestible. It is good for diarrhea, IBS and indigestion. It is good recipe for post operative patients. It is good recipe during accumulation of ama. Regular use of this beans helps in cleansing the clogged channels and make you ama free.
Dosha Analysis
It is very light and easy to digestible. It is good for diarrhea, IBS and indigestion. It is good recipe for post operative patients. It is good recipe during accumulation of ama. Regular use of this beans helps in cleansing the clogged channels and make you ama free.

फ्रीज़ किए गए नीबू के आश्चर्यजनक परिणाम।


नीबू को स्वच्छ धोकर फ्रीजर में रखिए8 सॆ 10 घंटे बाद वह बरफ जैसा ठंडा तथा कडा हो जाएगा।
उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें।
आप जो भी खाएँ उसपर डाल के इसे खा सकते हैं।
इससे खाद्यपदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आएगा।
नीबू के रस में विटामिन सी होता है, ये आप जानते हैं।
आइये देखें इसके और क्या क्या फायदे हैं।
नीबू के छिलके में 5 से 10 गुना अधिक विटामिन सी होता है और वही हम फेंक देते हैं।
नीबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषद्रव्य को बाहर निकालने कि क्षमता होती है।
निंबु का छिलका कैंसर का नाश करता है।
यह छिलका कैमोथेरेपी से 10000 गुना ज्यादा प्रभावी है।
यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है।
निंबु का रस विशेषत: छिलका रक्तदाब तथा मानसिक दबाव नियंत्रीत करता है।
नीबू का छिलका 12 से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है और वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के।
इसलिए आप से प्रार्थना है कि आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नीबू फ्रीज में रखे और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग करें।
कृपया इसे जनहितार्थ ज्यादा सॆ ज्यादा फॉरवर्ड करें।

Tuesday, 24 November 2015

Healthy eating rules According to Ayurvedic Science

No curds at night. Have buttermilk instead.
No heavy sweets or oily food at night.
Eat 2 – 3 hours before going to bed.
If your meals contain sweets, better to eat it at the beginning.
Cold water is ideal to drink after having food with barley, wheat, curds and honey.
Warm water is ideal after consuming buttermilk, fermented gruel, dishes prepared with vegetables, green gram and other legumes.
If you have taken oily food, drink hot water and do not drink cold water

The ideal time for taking meals is after the elimination of feaces and urine, when the mind is clean, when the Doshas are moving in their natural paths, when belching are pure without and foul smell or taste, when hunger is well manifest, when the flatus is moving downward easily, when the digestive activity is keen, when the sense organs are clear functioning, when the body is light. Food should be consumed observing the rules and procedures of taking food.

Saturday, 21 November 2015

कहीं रूम हीटर तो नही है, आपकी बीमारी का कारण?

ठण्ड से बचाने वाला रूम हीटर कहीं आपको और आपके परिवार को बीमार तो नहीं कर रहा, और आप समझ रहे हों की अधिक ठण्ड से आप या आपका परिवार बीमार है?
बचपन से हम जब सर्दियां अधिक पड़तीं थी तब आग पर तापा करते थें, गांवों कस्बों में आलांव जलाकर सादरी से बचा करते थे|
आधुनिक व्यवस्था में इसका स्थान विद्युत हीटर ने ले लिया है| आग जलने या अलांव लगाने की जगह हवादार खुली होती थी, इस कारण कोई समस्या नही होती थी|
पर वर्तमान में धुवाँ रहित हीटर से बंद कमरों को गर्म रखने का कार्य किया जाता है|
क्या आप जानते हें की हीटर से बड़ी मात्रा में वायु और ओक्सिजन जलती है, जिससे बंद कमरे की ओक्सिजन निरंतर कम होती है, यदी ताजी हवा को भी खिड़की आदि से बंद कर दिया गया होगा तो , जो की आजकल के एसी कमरों में होता है तो कमरे में ओक्सिजन की कमी घातक सिद्ध होती है, अक्सर इस प्रकार से होने वाली दुर्घटना सुनाने मिलतीं हें|
कम् ओक्सिजन वाली हवा में हम या हमारा परिवार लगातार रहता है, तो मस्तिष्क पर ओक्सिजन की कमी का प्रभाव सबसे पहिले होता है, परिणाम स्वरूप, तत्कालीन चक्कर सा आना, सर दर्द, बेचेनी, अनुभव होने लगतीहै|
लगातार कईदिन एसा होने पर स्मरणशक्ति की कमी, मानसिक उद्वेग, अनिद्रा, चिड-चिडाहट, होने लगती है, यह परिवार में कलह लड़ाई या असंतोष का कारण बनती है|
ओक्सिजन की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से कई रोग उत्पन्न होने लगते हें|
कहीं आपके परिवार में तो एसा नही हो रहा है?
आप निम्न नियम अपनाएं और स्वस्थ रहें -
ताजा हवा आने- जाने के लिए वेंटिलेशन/ खिड़की खुली हो|
रूम हीटर 20- 30 मिनिट चलाकर बंद कर दें|
ठण्ड से बचने ऊन के कबल( ब्लेंकेट) कपास की (नॉन सिन्थेंटिक रजाई) आदि का ही प्रयोग करें|

सोते समय सिर पर कुछ बांधना हानिकारक?

सर्दियों के मोसम में ठण्ड से बचना चाहिए| पर कुछ व्यक्ति ठण्ड से इतना अधिक डरते हें, कि रात को बंद कमरे में सोते समय भी सर पर कपड़ा/ टोपी/ मफलर आदि बंधते हें| साथ हीपैरों में मोज़े भी पहनते हें|

    सोते समय सर पर कपड़ा बाँधने या मोज़े पहनने या कसे हुए कपडे पहनने से शरीर का रक्त संचार प्रभावित होता है| सामान्यत: सोते समय शरीर की गति मंद होने से रकत का संचार कम रहता ही है, फिर कपडे आदि के कसने से रक्त प्रवाह और भी कम  हो जाता है|

   हाथ पैरों में झुनझुनी, सक्रियता में कमी, शिर कसने से स्मरणशक्ति पर प्रभाव, आदि इस शक्ती की कमी के उदाहरण है|
   इसलिए सोते समय सर पर कपड़ा कसना मोज़े पहनना त्याग देना चाहिए| जानना चाहिए की प्राण वायु केवल नाक या मुहं से श्वास के साथ प्रवेश नही करती, शरीर की त्वचा से भी प्रवेश करती है|
सोते समय ठण्ड से बचने चादर/ कम्बल/ या रुई (सिंथेटिक नहीं) की रजाई इस तरह से ओड कर सोना की श्वास के लिए ताजी हवा आती जाती रहे, श्रेष्ट होता है|
     कसे जाने पर रक्त प्रवाह और कम हो जाता है, इससे मस्तिष्क, आदि को पोषण हेतु ओक्सिजन आदि भी कम मिल पाती है| इसके परिणाम से उस अवयव की शक्ती प्रभावित होती है|

जोड़ो का कैसा भी दर्द हो इसे प्रयोग करे

आज कल जोड़ो के दर्द (Joint Pain) की समस्या आम हो गयी है और बढ़ती उम्र में ये बीमारी अक्सर लग जाती है डॉक्टर्स के पास जाकर भी इन दर्द से तब तक ही आराम होता है जब तक आप उनकी दवाईयाँ खाते रहते है और जैसे ही ट्रीटमेंट बंद किया फिर से वही प्रॉब्लम शुरू -आखिर कब तक आप  इस प्रॉब्लम जे झुजते रहोगे, आएये आज हम आपको बताते है कि कैसे आप घर पर ही डॉक्टर जैसा ट्रीटमेंट कर सकते है वो भी घरेलु नुस्खो से- अगर ये नुस्खे आप कुछ दिनों लगातार करेंगे तो आप पायेगे की आप की बीमारी बहुत हद तक ठीक हो चुकी होगी-तो जानते है क्या है वो नुस्खे जिन्हें आप जानकर भी अनजान है-
एक जोड़ो का दर्द ऐसा है जो युवा व बुजुर्ग दोनों वर्गों में कभी भी हो जाता है वो है गर्दन का दर्द ( Nack Pain ) जी हा एक बार अगर हो गया तो फिर आपकी गर्दन सीधी ही रहेगी ना लेफ्ट होगी और ना राईट होगी शायद आप इस दर्द को पहचानते भी होंगे तो चलो इस दर्द से निजात पाने का नुस्खा बताते है -
पहला नुस्खा :-
आप पंसारी के यहाँ जाये ओर वहा से भमुने का तेल 15 ग्राम और महुवे का तेल 15 ग्राम ले आये अब आप इन दोनों को अच्छे से मिक्स कर ले और एक बोतल में रख ले -अब इस तेल को जहा भी जोड़ो का दर्द है जैसे गर्दन, घुटने आदि जहा भी जोड़ो का दर्द हो वहा इस तेल की मालिश करे, ध्यान रखे मालिश हमेशा नीचे से उपर की और करे, अगर आप इस तेल की मालिश धुप में बेठ कर करेंगे तो ये बहुत ज्यादा आराम करेगा, अगर प्रस्थिति न हो तब आप मालिश के बाद उस जगह की हलके हलके सेक सकते है -ये एक जादुई फार्मूला है इस नुस्खे से आप अपने दर्द को चुमंतर कर सकते है -पुराने जोड़ो के दर्द में इसका प्रयोग लगातार 10 से 15 दिन तक करे -
दूसरा नुस्खा:-
जिसे आप सब जानते है पर उसके गुण नहीं पहचानते, जी हा वो है अजवायन, अजवायन दर्द निवारक तो है ही और गैस को मिटने वाली, भूख बढ़ने वाली और वायु रोग में भी कारगर है जोड़ो के दर्द में आप अजवायन का ये नुस्का अपनाये इससे आपको बहुत लाभ होगा सभी चीजे पंसारी के यहाँ मिल जाती है -
अजवायन का तेल- 10 ग्राम
पिपरमिंट- 10 ग्राम 
कपूर- 20 ग्राम
उपरोक्त तीनो चीजो को आपस में मिलकर एक शीशी में रख दे थोड़ी देर में सब आपस में मिल जायेगे -जब इस मिश्रण को 7 या 8 घंटे हो जाये तब आप इसे प्रयोग में ला सकते है कैसा भी दर्द हो आप इस मिश्रण को हिलाकर, इसकी मालिश करने से दर्द से छुटकारा मिलेगा होगा-
अन्य प्रयोग :-
शहद में ढाक के बीज का चूर्ण मिला कर इस मिश्रण का लेप करने से भी जोड़ो के दर्द में फायदा होता है -
लहसुन की 10 छिली हुई कालिया, 150 ग्राम दूध व इतना ही पानी मिलकर इसे जब तक पकाए जब तक यह आधा न रह जाये , अब पके हुए लहसुन को निकालकार इसे पके दूध के साथ सेवन करेने से जॉइंट्स पैन में लाभ मिलता है -
रात को सोते समाये गुनगुने दूध में एकछोटी चमच हल्दी की मिलाकर पीने से भी जोड़ो के दर्द में आराम मिलता है -
घुटनों को फ्लेक्सिबल करने के लिए दाल चीनी, हल्दी, जीरा और अदरक का प्रयोग अपने खाने में करते रहे -
अगर आप घुटनों में दर्द रहता है तो आप काले चने रात को भीगा कर रख दे और सुबह चबाकर खाए तो आप के घुटनों के दर्द को आराम मिलेगा - ऐसे 20 से 25 दिन करे ।

Tuesday, 3 November 2015

एनर्जी ड्रिंक्स



आजकल बाज़ार में तरह तरह के एनर्जी ड्रिंक्स उपलब्ध है . F1 जैसे आयोजन के प्रायोजक होने से और लुभावने विज्ञापनों से लोग उसे आजमाने लगते है पर वे ये नहीं जानते की ये कितने नुकसानदायक है
- इसमें इतना कैफीन होता है की पीने वाला व्यक्ति ६ घंटे तक सो ही नहीं सकता .ये दिल की धड़कन को बढ़ा देता है और इससे दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा बढ़ जाता है .
- इसमें गुआवानी , जिन्सेंग और जिन्को बिलोबा जैसे हर्ब्स होते है जिससे एक केन से प्राप्त होने वाली शकर की मात्रा बढ़ कर १० चम्मच तक हो जाती है . इससे दांत खराब होने और मोटापे का ख़तरा बढ़ जाता है .
- इससे नर्वसनेस , सिरदर्द , हाथ- पैर कांपना ,अनिद्रा जैसी समस्याएँ आ सकती है .
- शराब के साथ इसका प्रयोग जानलेवा हो सकता है .
- ये शरीर में पानी की अत्याधिक कमी कर देता है .
- बच्चों के लिए जितनी कैफीन की मात्रा प्रयोग की जा सकती है उससे कहीं अधिक मात्रा में कैफीन इसमें होता है .
- इसकी बिक्री डेनमार्क और नोर्वे जैसे देशों में प्रतिबंधित है .

Ten Reasons to dispose off your Microwave Oven



From the conclusions of the Swiss, Russian and German scientific clinical studies, we can no longer ignore the microwave oven sitting in our kitchens. Based on this research, one can conclude this article with the following:
1). Continually eating food processed from a microwave oven causes long term - permanent - brain damage by 'shorting out' electrical impulses in the brain [de-polarizing or de-magnetizing the brain tissue].
2). The human body cannot metabolize [break down] the unknown by-products created in microwaved food.
3). Male and female hormone production is shut down and/or altered by continually eating microwaved foods.
4). The effects of microwaved food by-products are residual [long term, permanent] within the human body.
5). Minerals, vitamins, and nutrients of all microwaved food is reduced or altered so that the human body gets little or no benefit, or the human body absorbs altered compounds that cannot be broken down.
6). The minerals in vegetables are altered into cancerous free radicals when cooked in microwave ovens.
7). Microwaved foods cause stomach and intestinal cancerous growths [tumours]. This may explain the rapidly increased rate of colon cancer in UK and America
8). The prolonged eating of microwaved foods causes cancerous cells to increase in human blood.
9). Continual ingestion of microwaved food causes immune system deficiencies through lymph gland and blood serum alterations.
10). Eating microwaved food causes loss of memory, concentration, emotional instability, and a decrease of intelligence.

What Happens To Our Body After Drinking Coca Cola?



 After 10 minutes
Ten tea spoons of sugar contained in a glass of Cola, cause devastating “strike” on the organism and the only cause, by reason of not vomiting, is the phosphoric acid which inhibits the action of sugar.
 After 20 minutes
A leap of insulin levels in bloodstream occurs. The liver converts all the sugar into fat.
 After 40 minutes
Ingestion of caffeine is finally completed. The eye pupils are expanding. Blood pressure rises, because the liver disposes more sugar into bloodstream. The adenosine receptors get blocked, thereby preventing drowsiness.
 After 45 minutes
Body raises production of dopamine hormone, which stimulates the brain pleasure center. Heroin has the same principle of operation.
 After 1 hour
Phosphoric acid binds calcium, magnesium and zinc in the gastrointestinal tract, which supercharges metabolism. Releasing of calcium through urine also rises.
 After more than 1 hour
Diuretic effect of the drink enters in “the game”. The calcium, magnesium and zinc are removed out of the organism, which are a part of our bones, as well as sodium. At this time we have already become irritable or subdued. The whole quantity of water, contained in a coca cola, is removed by the urine.
Actually, when having a cold bottle of Coke and enjoying its undeniable freshness, do we know what chemical “cocktail” we pour into our throats?