Tuesday, 30 May 2017

Henna

 7 Henna Home Remedies: Grey Hairs, Dysuria, Jaundice

Henna or Mehendi is more than just a hair coloring herb. It is a very good hair tonic and strengthens the hair roots. It also possesses anti-fungal and anti-bacterial properties. It is effective against dandruff and scalp fungal infections. 
Botanical name – Lawsonia inermis Linn
Family – Lythraceae.
Used part – leaves contain 12-16% of natural dye.
The leaves are coolants and pacify Pitta and Kapha Doshas.
Ayurveda explains about analgesic, cholagogue and anti inflammatory properties. It is a laxative and appetizer too.
Read related: Henna, Mehndi Benefits, Usage, Research, Side Effects
Effective Henna home remedies:
1. Henna powder application and rinsing of hair in greyness of hair:
Mature leaves are made into fine paste. According to the need liquorice (Yastimadhu), Indigofera tinctoria(neelini), Amla(Emblica officinalis) etc are also added while applying this to the scalp,to get the added benefits.
This is suitable to those who have hair dye allergy and to get long term health benefit to the scalp. In addition it has cooling effect and prevents from thinning and falling of hair.


2. Henna leaf juice with sugar candy in Dysuria and burning urination:
10-15 ml of fresh juice of leaves is added with
3-5 gram of sugar and
10-15 ml of fresh juice of Durva (Cynodon dactylon Linn.)
This juice mix is administered in a dose of 15 ml, 2 times a day. It relieves burning urination and difficulty in passing the urine.
3. Leaf paste with raisins in constipation and repeated distension of abdomen:
5 – 10 gram of henna leaves and 5 – 10 grams of raisins are taken and fine paste is made.
This is administered during at night, after food in a dose of 10 – 20 grams.
This helps to pass the bowel freely and to relieve distention of adbomen. In burping and gurgling, half a teaspoonful of fennel and cumin seeds are added to this and taken at night.

4. Henna and Triphala powder for silky and lustrous dark hair:
Equal amount of Triphala and henna are taken and fine powder is made.
This is administered orally in a dose of 3-5 grams, once or twice a day. This helps to achieve lustrous silky hair and bright eyes.
5. Liquorice and henna powder hair wash for boils, itching of scalp and splitting of hair:
50 grams of each of liquorice(Yastimadhu-Glycciriza glabra) and henna are taken and soaked in 2 liters of cold water. Next morning, this is macerated well and filtered gently. This is used to rinse the hair. It is found to be very effective in case of boils or blisters of scalp, itching of scalp and splitting of the hair.
6. Henna and d Phyllanthus(Phyllanthus indica or Phyllanthus amarus) whole plant juice for jaundice:
1 fist full of each of Henna and Phyllanthus indica are taken and pounded with 10 grams of cumin seeds. This helps to mask the peculiar smell. Fresh juice is extracted and filtered. This, in a dose of 1- – 15 ml, is administered along with sweet buttermilk in the morning, on empty stomach. This remedy acts as a carminative, digestive and cholagogue. It relieves jaundice.
7. Traditional oil for hair care using henna:
10 gram each of Fenugreek seeds , Gunja (Abrus precatorius-leaves), amla (Emblica officinalis – dried fruit rind) and 30 gram of henna (fresh leaf) are taken together and cooked with 200 ml of sesame oil, in mild intensity of heat.
This oil can be used to apply to the scalp regularly. This is a traditional hair oil used since several decades in our family.
Henna plant is the queen of cosmetics, especially in hair care products and traditional Mehendi applications. Traditional practices and healthcare  are closely related one another and usage of henna is a good example in this respect.

पेट











Wednesday, 24 May 2017

Breast Cancer

औरतों की छाती का कैंसर (Breast Cancer)
संभालने योग्य आर्टिकल।

अगर ब्रैसट कैंसर की संभावना हो तो पहले बायोपैसी करवाकर निर्णय करलें।
बचाव के उपाय—: 
औरतों मे छाती का कैंसर लगभग 30—40 साल की उम्र के दरम्यान होता है।
फोम की पैड वाली और नाईलान से तैयार तंग ब्रा पहनने से सदा प्रहेज करना चाहिये कयोॆकि ईनका तापमान  बढ़कर छाती की ग्रंथियों को प्रभावित करता है। संभोग के दौरान भी छातियों को जयादा जोर से दबाना नहीं चाहिये।

योग—:
हीरा भसम 120 मिलीग्राम।
सोना भसम 2 ग्राम।
मोती पिषटी 2 ग्राम।
अभ्रक भसम (100 रुठी) 2 ग्राम।
इन सब दवाईयों को मिलाकर 2 दिन काचनार के रस या काढ़े में खरल करलें व 48 पुड़ियाँ बनालें। 

हर तरह की छाती की कैंसर की गाँठ तीन चार हफते में खतम हो जाती है।
 छाती के कैंसर के आप्रेशन से जहाँ तक बचा जाये उचित है।
योग महँगा जरूर है लेकिन अकसर कारगार रहता है।

इस योग की सेवन विधि—:
1-1 पुड़ी सवेरे शाम शहद से लेनी चाहिये।
धंनयावाद।

Friday, 19 May 2017

थाइरायड

थाइरायड जड़ से खत्म करो तो जानो

थाइरायड की आयुर्वेदिक दवा

अश्वगंधा 250 ग्राम 
गिलोय चूर्ण 100 ग्राम 
सौंठ 100 ग्राम 
मलॅठी चूर्ण 100 ग्राम 
अजवायन 100 ग्राम 
काली मिर्च 50 ग्राम (काली मिर्च को घी में भून लें )
नसादर 25 ग्राम
सभी को मिलाकर चूर्ण बना लें
सेवन विधि -2 ग्रा से 5 ग्राम दिन में 3 बार 
दूध के साथ लें । 

साथ यह भी ले -

दिन मे 2 बार दही 200 -200 ग्राम जरूर सेवन करे ।

सुबह और रात को सोते समय 5 बादाम 1 अखरोट सेवन करे ।

साबित दालें ज्यादा इस्तेमाल करे, 
गऊ मूत्र 50 मिलीलीटर रोजाना सेवन करे ।
परहेज -

तली हुई चीजे बिल्कुल इस्तेमाल न करे । मास अंडे प्रयोग न करे यह थाइरायड में जहर समान है ।

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थायराइड रोग उपचार
 संपूर्ण जानकारी 

 थायराइड की समस्या महिलाओं पुरूर्षों में आजकल तेजी से बढ़ रही है। थायराइड ग्रंथि गले की नली कंठ के साथ होती है। 

जिसे Thyroid Gland कहा जाता है। थायराइड विकार दो तरह से होते हैं।

 जिन्हें हाइपरथायराइडिज्म और हाइपाथायराइड / Hyperthyroidism and Hypothyroidism कहा जाता है। 

थायराइड समस्या होने पर व्यक्ति का वजन अचानक बढ़ना और अचानक घटना, गले में सूजन दर्द जैसे कई समस्याऐं उत्पन्न होती हैं।

 थायराइड विकार का मुख्य कारण थायराइड ग्रंथि में हार्मोंनस की गडबड़ी।

 थायराइड ग्रंथि के हार्मोंनस को नियत्रंण करने वाली ग्रन्थि मस्तिष्क में मौजूद पिटूडटेरी कोशिका होती है।

 शरीर के विकास के लिए रात में मस्तिष्क पिटूडटेरी कोशिका से एक खास हार्मोंनस छोड़ती है।

 Thyroid Gland थायराइड गंथि में हार्मोंनस की कमी-गड़बड़ी के कारण Immune System / प्रतिरक्षा क्षमता प्रभावित हो जाती हैं। 

जिससे शरीर में कई दुष्परिणाम लक्षण होने लगते हैं। और व्यक्ति आम भाषा में थायराइड समस्या कहा जाता है। थायराइड समस्या होने के पीछे खानपान दिनचर्या जीवन शैली काफी हद  प्रभावित करता है ।

थायराइड समस्या होने पर सही उपचार, खानपान, परहेज, सावधानियां ध्यान में रखकर थायराइड विकार को आसानी से ठीक जा सकता है।

 थायराइड विकार होने पर विटामिन बी-कम्पलैक्स, बिटामिन-डी, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, एन्टी इंफ्लेमेन्टरी, एन्टीबायोटिकि, युक्त, ओमेगा-3 खाद्यपदार्थ, योगा व्यायाम फायदेमंद हैं।

थायराइड के लक्षण

गले गर्दन में सूजन और दर्द / Throat Infection Pain

भूख कम लगना / Feel hungry

बिना काम के थकान, कमजोरी महसूस होना / Body Tired

हाथ पांव कांपना / Body Shaking

बालों का झड़ना / Hair Fall

सांस लेने में दिक्कत / Breathing Problem

हृदय गति में परिवर्तन होना / Heart Rate

त्वचा में अचानक रूखापन आना और ठंड लगना / Skin Problems, Cold

तनाव होना और पसीना आना / Sweating, Tension 

बार-बार मुंह में थूक बनना / Spit in Mouth

थायराइड के कारण Hyperthyroidism, Hypothyroidism Causes

1. दवाईयों का ज्यादा वक्त तक सेवन करने से

2. टॉन्सिलस का ज्यादा देर तक संक्रामण रहना

3. महिलाओं में मासिक धर्म में बदलाव, गर्भा विकारों से थायराइड होना

4. हार्मोनस में अचानक बदलाव

5. थायराइड समस्या आनुवाशिक होना

6. तम्बाकू गुटका, मसाला जर्दा, धूम्रपान, नशीलें पदार्थों का सेवन

7. खांसी, गले में खर्राश लम्बे वक्त तक रहना

8. हड्डियों मासंपेशियों का कमजोर पडने पर

9. तनाव में रहने से

10. गैस, कब्ज, एसिडिटी ज्यादा वक्त तक रहने से

11. घातक कैमिक्लस की दुर्गन्ध से और दूषित वातावरण में रहने से।

12. भोजन में प्रोटीन ग्लूकोज क्रिया में गड़बड होने से।

थायराइड समस्या से छुटकारा दिलाने वाले आर्युवेदिक खास तरीके  / Ayurvedic Treatment for Thyroid in Hindi

गेहूं ज्वार रस / Wheat Grass Juice

गेहूं ज्वार को घर पर गमले में उगया जा सकता है। गेहूं और ज्यार की कोमल पत्तों का रस सुबह शाम पीने से थायराइड समस्या से जल्दी छुटकारा मिलता है। यह खास Thyroid Ayurvedic औषधि है।

प्याज मालिश / Onion Juice

प्याज को बीच में से दो हिस्से में गोलाई में काट लें। फिर गले के दोनों हिस्सों में हल्का हल्का रगड़ें। यह massage प्रक्रिया रोज सुबह शाम करने से Thyroid Infection / थायराइड सूजन दर्द ठीक करने में सक्षम है।

अदरक सेवन / Ginger Eat

अदरक खाने में इस्तेमाल करने से थायराइड जल्दी ठीक करने में सहायक है। अदरक सेवन थायराइड ग्रंथि को संकामण विकार से रोकने में सक्षम है। दाल, सब्जी, चाय, में इस्तेमाल करें। चाय कम मात्रा में पीयें।

मुलहटी चबाना / Mulethi, Liquorice Sucking

Thyroid Patient / थायराइड ग्रसित व्यक्ति के मुलेठी को चबाकर रस सेवन करना फायदेमंद है। मुलहटी सेवन से थायराइड ग्रन्थि से दर्द सूजन और थायराइड को कैंसर से बचाने में सहायक है।

आयोडीन एंव रिच विटामिनस, मिनरलस / Iodine Rich Food

हरी पत्तेदार सब्जियां, ताजे फल, सलाद में ककड़ी, टमाटर, खीरा, पुराने चावल, पापकॉर्न, ब्रेड, जई, समुद्री मछली, मशरूम खाने से थायराइड कम करने में सक्षम है। सादे नमक से ज्यादा शुद्ध आयोडीन

पेट फूल आने पर



तवा गरम कर के सुहागा तवे पर अच्छे से सेक लें और रोगी को खाली पेट खिला दें। यह प्रयोग तुरंत पेट का फूलना बंद कर देगा। खास कर बच्चों के लिए यह उपाय अत्यंत उपयोगी है।

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आंतों की गंदगी दूर करने के लिए तेज पत्तों का काढ़ा पीना अत्यंत गुणकारी होता है। इसे पीने से शरीर में से पसीना बाहर आने लगता है मल मार्ग से शरीर में बाधित हुई हवायेँ बाहर निकलनें लगती हैं। और पेट तुरंत सुडौल होने लगता है।

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छाछ पाचन क्रिया को बहेतर बनाती है। काली मिर्च, जीरा, काला नमक और पीपल का चूर्ण तैयार कर के उसे छाछ में डाल कर नित्य पीने से पाचन से जुड़ी समस्यायेँ समाप्त हो जाती हैं और पेट का फूलना भी बंद हो जाता है।

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अरण्ड की जड़ को अच्छे से साफ कर के, साफ पानी से धो कर उसे पीस लें और उस पीसी हुई अरण्ड को गरम पानी में उबाल लें। अरण्ड वाले पानी को थोड़ी देर ठंडा होने दें और फिर उसे गिलास भर पी लें। यह प्रयोग पेट का फूलना रोकता है और पाचन तंत्र को ठीक करता है।

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नींबू के रस में थोड़ा सौफ मिला लें और फिर उसे किसी साफ शीशी में भर लें।

 और फिर उस सौफ को भोजन के बाद थोड़ा थोड़ा खाएं। यह प्रयोग पेट की समस्या दूर करने के लिये अत्यंत कारगर है।

Monday, 8 May 2017

नाड़ी जांच


जानिए नाड़ी देखकर रोग का
पता लगाने का सबसे प्राचीन तरीका
नाड़ी परीक्षा (नाड़ी देखना)
बहुत पुराने आयुर्वेदिक ग्रन्थ “योग रत्नाकर” में लिखा है कि रोग से पिडीत व्यक्ति के शरीर कि 8 प्रकार से परीक्षा करके रोग का निदान करना चाहिए ,इसमें नाड़ी परीक्षा सबसे प्रथम विधि है .
प्राचीन मतानुसार नाड़ी परीक्षा द्वारा शरीर के वात,पित ,कफ या दिव्दोशज या त्रिदोषज रोगों को ज्ञात करते है .
यधपि सम्पूर्ण शरीर में अनेक नाडिया है लेकिन अंगूठे के मूल प्रदेश वाली नाड़ी कि विशेष रूप से परीक्षा कि जाती है .यह सम्पूर्ण शरीर में फैली हुयी मानी गयी है .
इसे ही आचार्य शारंगधर ने जीव साक्षिणी कहा है .आइये जाने नाड़ी परिक्षण का प्राचीनतम तरीका .
नाडी/नाड़ी परीक्षा
पोस्ट डालने का उद्देश्य कृपया पोस्ट को पूरा ध्यान से पढ़िए नाडी परीक्षा के बारे में शारंगधर संहिता ,भावप्रकाश ,योगरत्नाकर आदि ग्रंथों में वर्णन है । महर्षि सुश्रुत अपनी योगिक शक्ति से समस्त शरीर की सभी नाड़ियाँ देख सकते थे । ऐलोपेथी में तो पल्स सिर्फ दिल की धड़कन का पता लगाती है : पर ये इससे कहीं अधिक बताती है ।
आयुर्वेद में पारंगत वैद्य नाडी परीक्षा से रोगों का पता लगाते है । इससे ये पता चलता है की कौनसा दोष शरीर में विद्यमान है । ये बिना किसी महँगी और तकलीफदायक डायग्नोस्टिक तकनीक के बिलकुल सही निदान करती है । जैसे की शरीर में कहाँ कितने साइज़ का ट्यूमर है , किडनी खराब है या ऐसा ही कोई भी जटिल से जटिल रोग का पता चल जाता है ।
दक्ष वैद्य हफ्ते भर पहले क्या खाया था ये भी बता देतें है । भविष्य में क्या रोग होने की संभावना है ये भी पता चलता है ।
महिलाओं का बाया और पुरुषों का दाया हाथ देखा जाता है ।
कलाई के अन्दर अंगूठे के नीचे जहां पल्स महसूस होती है तीन उंगलियाँ रखी जाती है ।
अंगूठे के पास की ऊँगली में वात , मध्य वाली ऊँगली में पित्त और अंगूठे से दूर वाली ऊँगली में कफ महसूस किया जा सकता है ।
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वात की पल्स अनियमित और मध्यम तेज लगेगी ।
पित्त की बहुत तेज पल्स महसूस होगी ।
कफ की बहुत कम और धीमी पल्स महसूस होगी ।
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तीनो उंगलियाँ एक साथ रखने से हमें ये पता चलेगा की कौनसा दोष अधिक है ।
प्रारम्भिक अवस्था में ही उस दोष को कम कर देने से रोग होता ही नहीं ।
हर एक दोष की भी 7 प्रकार की पल्स होती है ; जिससे रोग का पता चलता है , इसके लिए अभ्यास की ज़रुरत होती है ।
कभी कभी 2 या 3 दोष एक साथ हो सकते है ।
नाडी परीक्षा अधिकतर सुबह उठकर आधे एक घंटे बाद करते है जिससे हमें अपनी प्रकृति के बारे में पता चलता है ।
ये भूख- प्यास , नींद , धुप में घुमने , रात्री में टहलने से ,मानसिक स्थिति से , भोजन से , दिन के अलग अलग समय और मौसम से बदलती है ।
चिकित्सक को थोड़ा आध्यात्मिक और योगी होने से मदद मिलती है .
सही निदान करने वाले नाडी पकड़ते ही तीन सेकण्ड में दोष का पता लगा लेते है । वैसे ३० सेकण्ड तक देखना चाहिए ।
मृत्यु नाडी से कुशल वैद्य भावी मृत्यु के बारे में भी बता सकते है ।
आप किस प्रकृति के है ? –
वात प्रधान , पित्त प्रधान या कफ प्रधान या फिर मिश्र ?
खुद कर के देखे या किसी वैद्य से पता कर के देखिये ।
यह सब हमारी हताशा को दर्शाता है आपका कमेंट क्योंकि हम उन्हें ही डॉक्टर या वैध मानते हैं जिनके बड़े बड़े होर्डिंग लगते हैं या जो टीवी चैनलों पर airtime खरीदकर नाड़ी वैद होने का दावा करते हैं
यह भी सच है कि आजकल नाड़ी वैद्य प्राय लुप्त हो गए हैं क्योंकि आजकल की पढ़ाई किताबों में कराई जाती है कंप्यूटर में कराई जाती है ।
प्रेक्टिकल नॉलेज ना के बराबर है केवल पैसा ही लक्ष्य बन चुका है सबसे बड़ी बात अगर इस चिकित्सा को दोबारा लागू करवाना है तो स्कूल कॉलेजों में लाखों रुपए में डॉक्टर बनाने बंद करने होंगे फ्री की चिकित्सा प्रणाली या अल्प मूल्य पर शिक्षण संस्थान बनाने होंगे।
आश्रमों की तरह तभी हम इस पद्धति को जीवित रह पाएंगे अंयथा तो यह् लुप्त ही हो गई है.
समझ लीजिए सबसे ज्यादा इस पद्धति को नुकसान आजकल के स्वयंभू वेदो जैसे आश्रमों में बिकने वाली दवाइयों ने इस पद्धति को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया है क्योंकि अनाड़ी वेदों को बैठाकर जब वह लोगों का निदान नहीं कर पाते।
तो इस पद्धति से लोगों का विश्वास उठना स्वभाविक है बड़े-बड़े आश्रमों में जितने भी चिकित्सक बैठे होते हैं ।
सब अनाड़ी है इनमें से कोई भी सही तरीके से रोग का निदान कर ही नहीं पाता जब निदान ही नहीं होगा तो रोग से मुक्ति कैसे संभव होगी
.इस महत्वपूर्ण जानकारी को अपने मित्रो और स्नेहीजन को बताने के लिए शेयर जरुर कीजिये .

Saturday, 6 May 2017

Ashwagandha

Health Benefits of Ashwagandha .....
Ashwagandha, also known as Indian Ginseng, has a wide range of health benefits, including its ability to fight against cancer and diabetes, as well as reduce inflammation, arthritis, asthma, hypertension, stress, and rheumatism. Furthermore, it boosts your supply of antioxidants and regulates the immune system. It also has antibacterial and anticonvulsant properties.
Ashwagandha has had a great significance in Oriental medical schools of thought, especially in theancient Indian system of medicine, Ayurveda, for many centuries. It had also been used by Native Americans and Africans in effort to keep away several types of infections. Extensive scriptures describing the Ashwagandha plant and its medicinal properties have been mentioned in both traditional Chinese medicine and Ayurveda.
What is Ashwagandha?

Ashwagandha belongs to the Solanaceae family and its scientific name is Withania somnifera. It is also known as Indian ginseng or winter cherry. In Sanskrit, it is known by the name Ashwagandha, which means the odor of a horse. It is named so because of the odor of horse sweat that the roots seem to emanate. The plant originated from India and it grows best in dry regions. It is a robust plant that can survive very high temperatures and low temperatures, ranging from 40°C to as low as 10°C. Ashwagandha grows from sea level to an altitude of 1500 meters above sea level.
The use of ashwagandha for so many centuries has aroused the curiosity of modern medical science, leding to an interest in investigating the medicinal properties of the plant. Preliminary studies on Ashwagandha indicated the presence of potential therapeutic abilities and it also showed no associated toxicity in the chemical constituents of the plant.
Scientific research on the plant indicates that it has anti-inflammatory, anti-oxidizing, anti-stress, sleep-inducing and drug withdrawal properties. Many formulations that are made from Ashwagandha improve the musculo-skeletal problems such as arthritis and rheumatism. It also acts as a tonic that boosts energy, and improves overall health and longevity.

Recent research on Ashwagandha conducted at the National Institute of Advanced Industrial Science and Technology in Japan had reported that the leaves of Ashwagandha can selectively inhibit cancer cells.
Health Benefits of Ashwagandha
Regular consumption of Ashwagandha can result in various health benefits. Some of them are listed below:
IndianginsengAnti-Carcinogenic Properties: A research study has termed Ashwagandha as an emerging and novel alternative in the field of oncology because of its cancer killing properties, in association with radiation therapy and chemotherapy. It is also of interest because it is known to reduce the side effects of chemotherapy without interfering with the tumor cell-killing activity.

Anti-Inflammatory Properties: Ashwagandha has been found to be effective in dealing with a variety of rheumatologic problems. The herb is known to act as a cyclooxygenase inhibitor that decreases inflammation and pain. The research conducted at the Los Angeles College of Chiropractors suggests that Ashwagandha has anti-inflammatory properties that come from the alkaloids, saponins, and steroidal lactones found within it.
Antibacterial Properties: According to Ayurvedic medical texts, Ashwagandha is effective in controlling bacterial infections in humans. A study conducted at the Centre for Biotechnology at the University of Allahabad in India showed that Ashwagandha possesses antibacterial properties in accordance with that traditional belief. It also concluded that Ashwagandha was effective in urinogenital, gastrointestinal, and respiratory tract infections when consumed orally.
Cardio-Protective Properties: Ashwagandha, with its anti-inflammatory, anti-oxidant, and antistressor properties, is good for cardiovascular health problems. It strengthens the heart muscles and can also control cholesterol. A study at the University of Arizona indicated that it possesses hypolipidemic properties bringing down blood cholesterol levels.

Anti-Depressant Properties: In India, Ashwagandha has been traditionally used in Ayurveda to improve both physical and mental health. The effects of Ashwagandha on mental health, particularly in depression, were studied at the Institute of Medical Sciences at Banaras Hindu University in India. The study supported the benefits of Ashwagandha in relation to anxiety and depression.
Fights Diabetes: Ashwagandha has long been used as a remedy for diabetes in Ayurvedic medicine. Research on the use of Ashwagandha in the treatment of diabetes indicated positive results. Experiments showed that blood sugar levels during fasting and post-lunch decreased significantly when Ashwagandha was comsumed for a period of four weeks.
Stimulates the Thyroid Gland: In cases of hypothyroidism, Ashwagandha can be used to stimulate the thyroid gland. A study on Ashwagandha’s effects on the thyroid gland revealed that the root extract, if given on a daily basis, would increase the secretion of thyroid hormones.
Relieves Stress: Ashwagandha is also believed to possess anti-stress properties. Traditionally, it had been administered to induce a soothing and calming effect on a person. The active ingredient that is responsible for this activity is still unknown, but various anti-stress properties have been observed in research experiments. The results of the study showed that Ashwagandha led to significant reduction in levels of stress in animals put under extreme temperature variations.
Antioxidant Properties: Ashwagandha is a very good source of antioxidants. These antioxidants are very effective in scavenging and neutralizing free radicals produced during the process of metabolism.
Immunomodulatory Properties: Research studies have showed that the consumption of Ashwagandha led to significant modulation of immune system reactivity and prevented myelosuppresson in mice induced by immunosuppressive drugs. It was also observed that Ashwagandha increased the red blood cell, white blood cell, and platelets count.
Increased Blood Production: Haematopoiesis is the process of producing new blood. According to research, Ashwagandha possesses hemo-poetic properties. The study showed that red blood cell and white blood cell counts increased significantly in rats which were administered with Ashwagandha. This could mean a positive effect on human red blood cells as well, thereby helping to prevent conditions like anemia.
Aphrodisiac Properties: It has been widely believed for many centuries that Ashwagandha had aphrodisiac properties and people used it as a medication to improve vitality and fertility. A recent scientific study indicated that Ashwagandha plays an important role as an aphrodisiac medicine as well as a way to improve semen quality. It also reduces oxidative stress throughout the body.
ashwagandhainfoPrevents Seizures: Ashwagandha has been a widely used remedy for seizures and convulsions in Ayurvedic medicine. Another study on Ashwangandha also showed the presence of anticonvulsant properties in this wonderful plant.
Good Health: Ashwagandha has been found to be useful in improving muscular strength of the lower limbs and weakness. It also has a positive impact on neuro-muscular coordination.
Reduces Ocular Diseases: Research conducted by Thiagarajan et al. has showed that the antioxidant and cytoprotective properties of Ashwagandha were ideal in fighting cataract disease.
Risks of Using Ashwagandha
Risk for Pregnant Women: Pregnant women are advised to avoid consumption of Ashwagandha, as it possesses abortifacient properties.
Risk of Medical Interactions: Doctors advise caution while using Ashwagandha because it could interact with regular medications, especially for those who are suffering from diseases like diabetes, hypertension, anxiety, depression, and insomnia.
Other: Avoid consumption of Ashwagandha in large amounts, as this may have side effects such as diarrhea, upset stomach, and nausea.
How Can Ashwagandha be Taken?
Ashwagandha root is available in the market either in powdered form, dried form, or fresh root form.
Ashwagandha Tea: You can make a tea of Ashwagandha by boiling the powder in water for 10 minutes. Don’t use more than a teaspoon of the powder in one cup of water.
You could also take Ashwagandha root powder, along with a glass of hot milk before going to sleep.

Wednesday, 3 May 2017

हकलाना

हकलाना, तुतलाना, जबान मोटी का समाधान दालचीनी में छिपा है

हकलाना और तुतलाना ऐसी गम्भीर समस्या है जो अच्छे भले व्यक्तित्व के धनी इन्सान की पर्सनलटी का सत्यानाश कर देती है । आत्मविश्वास की ऐसी धज्जियॉ उड़ जाती हैं कि हकलाने वाला इंसान समाज से कटा कटा रहने लगता है । हकलाना और तुतलाना दोनों अलग अलग समस्यायें हैं । हकलाने में व्यक्ति बोलते बोलते अटक जाता है और तुतलाने में शब्दों का उच्चारण साफ नही हो पाता है जैसे कि “र” को “ल” अथवा “ड़” बोलना आदि । इस दोनों के अलावा एक और समस्या होती है जिसमें बोलते समय मुँह से हवा का प्रेशर निकलता रहता है और कभी कभी सामने वाले के ऊपर थूक भी गिर जाता है, ऐसा जीभ के मोटा होने के कारण हो जाता है ।
इन सभी समस्याओं के कारण से बहुत सी परेशानी तो होती ही है और कुछ सही समाधान भी मिल नही पाता है । कोई बोलता है कि नमक के गरारे करो तो कोई सलाह देता है कि स्पीच थैरेपी लेलो । किंतु इन समस्याओं का सही समाधान छिपा है दालचीनी में ।
दालचीनी का तेल और दालचीनी की छाल दोनों ही चीजे इस समस्या के लिये प्रयोग की जा सकती हैं । दिन में दो बार दालचीनी के तेल का जीभ पर लेप करने से तुतलाने और मोटी जबान में लाभ मिलता है । जबकि दालचीनी की छाल का छोटा टुकड़ा जीभ पर रखकर चूसते रहने और लार को गटकते रहने से हकलाने की समस्या में लाभ मिलता है और यह भी मोटी जीभ की समस्या में फायदा करता है ।
इन प्रयोगों के साथ यदि थोड़ा सा साफ और लगातार बोलने का अभ्यास भी किया जाये तो इतना अच्छा लाभ होता है कि बोलने वाले को खुद अपने पर विश्वास नही होता कि मै इतना साफ और प्रवाह में भी बोल सकता हूँ । तो अगर आपको या आपके किसी परिचित को इनमें से कोई समस्या हो तो इन सरल प्रयोगों को जरूर आजमायें ।

भोजन द्वारा स्वास्थ्य

🍌 केला ::-
        ब्लडप्रैशर नियंत्रित करता है,
        हड्डियों को मजबूत बनाता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        अतिसार  में लाभदायक है,
        खाँसी में हितकारी है।

♠ जामुन ::- 
        कैंसर की रोकथाम करता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        कब्ज को मिटाता है,
        स्मरण शक्ति बढाता है,
        रक्त शर्करा नियंत्रित करता है,
        डायबिटीज में अति लाभदायक।

🍎 सेवफ़ल ::-
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        दस्त उपचार से रोकता है,
        कब्ज में फ़ायदेमंद है,
        फ़ेफ़ड़ों की शक्ति बढाता है।

♣ चुकंदर ::-
        शरीर का वजन घटाता है,
        ब्लडप्रैशर नियंत्रित करता है,
        अस्थिक्षरण रोकता है,
        कैंसर के विरुद्ध लडता है,
        हृदय की सुरक्षा करता है।

🌀 पत्ता गोभी ::-
       बवासीर में हितकारी है,
       हृदय रोगों में लाभदायक है,
       कब्ज को मिटाता है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       कैंसर में फ़ायदेमंद है।

🔺 गाजर ::-
       नेत्र ज्योति वर्धक है,
       कैंसर प्रतिरोधक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       कब्ज को मिटाती है,
       हृदय की सुरक्षा करती है।

🌸 फूल गोभी ::-
        हड्डियों को मजबूत बनाती है,
        स्तन कैंसर से बचाव करती है,
        प्रोस्टेट ग्रंथि कैंसर में उपयोगी,
        चोंट, खरोंच ठीक करती है।

🌀 लहसुन:
        कोलेस्टरोल घटाती है,
        उच्च रक्तचाप घटाती है,
        अवांछित कीटाणुनाशक है,
        कैंसर से लडती है।

🐝 शहद ::-
       घाव भरने में उपयोगी है,
       पाचन क्रिया सुधारता है,
       एलर्जी रोगों में उपकारी है,
       अल्सर से मुक्तिकारक है,
       तत्काल स्फ़ूर्ती देता है।

🍈 नींबू ::-
       त्वचा को मुलायम बनाता है,
       कैंसर अवरोधक है,
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       ब्लड प्रैशर नियंत्रित करता है,
       स्कर्वी रोगनाशक है।

🍇 अंगूर ::-
        रक्त प्रवाह वर्धक है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        कैंसर से लडता है,
        गुर्दे की पथरी नष्ट करता है,
        नेत्र ज्योतिवर्धक है।

🍋 आम ::-
        कैंसर से बचाव करता है,
        थायराईड रोग में हितकारी है,
        पाचन शक्ति बढाता है,
        याददाश्त कमजोरी में हितकर।

🌰 प्याज ::-
        फ़ंगस अवरोधी गुणकारक है,
        हार्टअटैक रिस्क कम करता है,
        अवांछित जीवाणु नाशक है,
        कैंसर विरोधी है,
        खराब कोलेस्टरोल घटाता है।

♦ अलसी के बीज ::-
        मानसिक शक्ति वर्धक है,
        रोग प्रतिरोध शक्ति को बढ़ते हैं,
        डायबिटीज में उपकारी है,
        हृदय की सुरक्षा करता है,
        डायजैशन को ठीक करते हैं।

🍊 संतरा ::-
       हृदय की सुरक्षा करता है,
       रोग प्रतिरोध शक्ति बढ़ाता है,
       श्वसन विकारों में लाभकारी है,
       कैंसर में हितकारी है।

🍅 टमाटर ::-
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       प्रोस्टेट ग्रंथि सुधार में उपकारी है,
       कैंसर से बचाव करता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

💦 पानी ::-
       गुर्दे की पथरी का नाशक है,
       वजन घटाने में सहायक है,
       कैंसर के विरुद्ध लड़ता है,
       त्वचा की चमक बढाता है।

☀ अखरोट ::-
        मूड उन्नत करने में सहायक है,
        मैमोरी  पावर बढाता है,
        कैंसर से लड सकता है,
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        कोलेस्टरोल घटाता है।

🍉 तरबूज ::-
       स्ट्रोक रोकने में उपयोगी है,
       प्रोस्टेट-स्वास्थ्य में हितकारी है,
       रक्तचाप घटाता है,
       वजन कम करने में सहायक है।

🌱 अंकुरित गेहूँ ::-
       बडी आँत के कैंसर से लडता है,
       कब्ज प्रतिकारक है,
       स्ट्रोक से रक्षा करता है,
       कोलेस्टरोल कम करता है,
       पाचन शक्ति को सुधारता है।

🌾 चावल ::-
       किडनी स्टोन में हितकारी है,
       डायबिटीज में लाभदायक है,
       स्ट्रोक से बचाव करता है,
       कैंसर से लडता है,
       हृदय की सुरक्षा करता है।

🍯 आलू बुखारा ::-
        हृदय रोगों से बचाव करता है,
        बुढापा जल्द आने से रोकता है,
        याददाश्त को बढाता है,
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        कब्ज प्रतिरोधक है।

🍍 पाइनैप्पल ::-
       अतिसार (दस्त) रोकता है,
       वार्ट्स (मस्से) ठीक करता है,
       सर्दी, ठंड से बचाव करता है,
       अस्थिक्षरण को रोकता है ,
       पाचन क्रिया सुधारता है।

🎑 जौ, जई  ::-
        कोलेस्टरोल घटाता है,
        कैंसर से लडता है,
        डायबिटीज में उपकारी है,
        कब्ज प्रतिकारक् है ,
        त्वचा की शाईनिंग बढ़ाता है।

🍪 अंजीर  ::-
        रक्तचाप नियंत्रित करता है,
        स्ट्रोक्स से बचाता है,
        कोलेस्टरोल कम करता है,
        कैंसर से लडता है,
        वजन घटाने में सहायक है।

🍠 शकरकंद ::-
       आँखों की रोशनी बढाता है,
       मूड को उन्नत करता है,
       हड्डियाँ बलवान बनाता है,
       कैंसर से लडता है ।
ये फल आपके जीवन बहुत महत्वपूर्ण है ये ईश्वर द्वारा मानव को उपहार है पर इन सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण ओरिजनल डिवाइन नोनी जिसे मोरिंडा सिट्रोफोलिया कहा जाता है इसको आज के समय का संजीवनी कहा जाता है इसीलिये महामहिम कलाम साहब ने डिवाइन नाम दिया 

त्‍वचा

त्‍वचा-की-देखभाल

 घर में नमक के इन प्रयोगों से पाइये नाक के ब्‍लैकहेड्स से मुक्‍ती चाहे चेहरा कितना भी चमकदार क्‍यूं ना हो पर अगर नाक पर ब्‍लैकहेड्स हैं, तो समझ लीजिये कि आपका सारा किया कराया बेकार गया। ब्‍लैकहेड्स को हटाने का सबसे अच्‍छा तरीका है घर में मौजूद दरदरा नमक। जी हां, वही नमक जो हम अपने खाने में स्‍वाद बढ़ाने के लिये प्रयोग करते हैं, वही ब्‍लैकहेड्स को भी साफ कर सकता है।

 किचन में रखी सामग्रियों से हटाइये ब्‍लैकहेड आप नमक के साथ अन्‍य सामग्रियों जैसे, गुलाबजल, दही, नींबू, बेसन और टूथपेस्‍ट आदि मिला कर पेस्‍ट बना कर लगा सकती हैं। ये घरेलू नुस्‍खा आपको बेहतरीन रिजल्‍ट देगा।

इन नुस्‍खों को केवल कुछ दिन नियमित रूप से आजमाएं और फिर देखें कि ना केवल ब्‍लैकहेड्स ही हटेंगे बल्‍कि चेहरे से धूल, मिट्टी और डेड स्‍किन भी साफ होगी।

नमक और रोज वॉटर ब्‍लैकहेड हटाने के लिये एक छोटा चम्‍मच नमक और एक चम्‍मच रोज वॉटर को कटोरी में मिक्‍स करें। बिना देरी किये हुए इससे अपने नाक या उस जगह पर रगड़ें जहां पर ब्‍लैकहेड्स हों। गुलाबजल से चेहरे की चमक बढेगी। इस विधि को हफ्ते में एक बार करें।

नमक और शक्‍कर एक कटोरी में 1 चम्‍मच शक्‍कर और 1 चम्‍मच नमक मिलाएं। इससे हल्‍के हाथों से नाक पर गोलाई में मसाज करें। 15 मिनट के बाद, जब यह सूख जाए तब गीले कॉटन बॉल से पोछ लें।

नमक और शहद 1 चम्‍मच शहद में 2 चम्‍मच काला नमक मिलाएं। इसे ब्‍लैकहेड के साथ डेड स्‍किन भी साफ होती है। इसे हफ्ते में दो बार ट्राई करें।

नमक और बेसन एक कटोरी में 1 चम्‍मच बेसन, 2 चम्‍मच दूध और 1 चम्‍मच नमक मिक्‍स करें। इस पेस्‍ट को गाढा बनाएं और ब्‍लैकहेड पर लगाएं। 15 मिनट के बाद इसे रगड़ कर साफ कर दें। इससे ब्‍लैकहेड्स तो साफ होंगे ही साथ में चेहरा भी ग्‍लो करेगा।

नमक और नींबू का रस सबसे पहले ब्‍लैकहेड वाली जगह को नींबू के रस से मसाज कर लें। फिर उसी गीने चेहरे पर नमक लगा कर गोलाई में हल्‍के हथों से मसाज करें। 10 मिनट के बाद गरम पानी से चेहरा धो लें। इस विधि को 8 दिन के बाद फिर दोहराएं।

नमक और टूथपेस्‍ट
नाक या अन्‍य जगह पर टूथपेस्‍ट लगाएं और बाद में दरदरा नमक उस पर रगडे़। इसे ऊपर के डायरेक्‍शन पर रगड़ें। ब्‍लैकहेड्स के साथ यह रूखी त्‍वचा को भी साफ कर देगा।

दही और नमक
 ब्‍लैकहेड्स वाली जगह को नमक वाले पानी से मसाज कर के 15 मिनट बाद उस पर गाढी दही लगा कर हल्‍के हाथों से रगड़ें। इससे आपके चेहरे पर पैदा होनी वाली जलन दूर होगी।

हिचकी

हिचकी न रुके तो

* 3 ग्राम की मात्रा में कलौंजी पीसकर, मक्खन मिलाकर सेवन करने से हिचकियां बंद हो जाती है।
* मोर के पंखों के ऊपरी भाग (चंद्र भाग) को काटकर, किसी मिट्टी के पात्र में रखकर, आग पर गर्म करके भस्म बना लें। इस भस्म में मधु मिलाकर चाटकर खाने से हिचकी बंद होती है।
* पीपली का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम चूर्ण मधु मिलाकर चाटकर खाने से हिचकी का निवारण होता है।
* हिचकियां आने पर अदरक अथवा सौंठ का चूर्ण आंवला व पीपल के चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर शहद के साथ चटाना चाहिये।
* पुदीने के हरे पत्ते या नींबू चूस लेने पर हिचकी बंद हो जाती है।
* केले की जड पीस कर छानकर रस निकाल लें,इस रस को सूंघने से हिचकी बंद हो जाती है।
* सेंधा नमक को पानी या घी में पीसकर सूंघने से हिचकी बन्द हो जाती है।
* सौंठ को गुण में मिलाकर सुंघाने से हिचकी में आराम मिलता है।
* तीन काली मिर्च थोडी सी चीनी या मिश्री का एक टुकडा मुंह में रखकर चबायें,और उसका रस चूंसते रहे,चाहे तो एक घूंट पानी पी सकते है,तत्काल हिचकी बन्द हो जायेगी।
* गिलोय और सौंठ का समभाग चूर्ण लेकर उसे नसवार की तरह सूंघने से हिचकी में आराम मिलेगा।
* मुलहठी का महीन चूर्ण शहद में मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है
* चित लेटकर गहरी सांस लें फ़िर थोडी देर सांस को अन्दर रोककर छोड दें,ऐसा दस पन्द्रह बार करें,अपना ध्यान सांस खींचने और छोडने पर रखें,हिचकी बन्द हो जायेगी।
* बडी इलायची पीसकर मिश्री या शहद के साथ चाटने से हिचकी बन्द हो जाती है।
* नीबू में सेंधा नमक लगाकर चाटने से हिचकी रुक जाती है।

Stevia

स्टीविया – शुगर और मोटापे में अमृत समान

स्टीविया एक ऐसा आयुर्वेदिक पौधा  है जो डायबिटीज और मोटापे जैसी खतरनाक बीमारी से राहत दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है

डायबिटीज के मरीजों के लिए मीठा खाना जहर नहीं बनेगा बशर्ते वह खाने के तुरंत बाद आयुर्वेदिक पौधे स्टीविया की कुछ पत्तियों को चबा लें। गन्ने से तीन सौ गुणा अधिक मीठा होने के बावजूद स्टीविया पौधे फैट व शुगर से फ्री है। इतना अधिक मीठा होने के बावजूद यह शुगर को कम तो करता ही है साथ ही इसे रोकने में भी सहायक है।

आइये जाने इसके फायदे।
1.स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है।

2.आयुर्वेद चिकित्सकों की माने तो यदि रोजाना स्टीविया के चार पत्तों का चायपत्ति के रूप में सेवन किया जाए तो यह शुगर और मोटापे के लिए रामबाण की तरह साबित होगा।

3.मौजूदा समय में शुगर, मोटापा, कैलोरी आदि रोग से राहत पाने लिए अयुर्वेद में तीनों मर्ज के लिए हरबल प्लांट स्टीविया पौधे का उल्लेख किया गया है, जिस पर आयुर्वेद चिकित्सकों को अभी भी विश्वास कायम है। उनकी माने तो स्टीविया साइट नाम का एक रसायन होता है, जोकि चीनी से तीन सौ गुना अधिक मीठा होता है, इसे पचाने से शरीर में एंजाइम नहीं होता और न ही ग्लूकोस की मात्रा बढ़ती है। और इसके लगातार सेवन से शुगर पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

4. स्टीविया में आवश्यक खनीजों तथा विटामिन्स होते है। *पूर्णतया कैलोरी शून्य उत्पाद। *इसे पकाया जा सकता है आर्थात इसे चाय, काफी, दूध आदि के साथ उबालकर भी प्रयोग किया जा सकता है। *मधुमेय रोगियों के लिए उपयुक्त है क्योकि यह पेनक्रियाज की बीटा कोशिकाओं पर अपना प्रभाव डालकर उन्हें इन्सुलिन तैयार करने में मदद करता है।
(सटीविया पत्तीयो और मधुमेह नाशक  चूर्ण  के लिए मुझसे संपर्क कर सकते है

बालों के लिये

बहुत बढिया  है बालों  के लिये ।

सामग्री

लौकी
तुराई चिकनी वाली
निबू एक 
संतरे का छिलका  एक संतरे का
अनार का छिलका एक
मिठेनीम के पत्ते  बीस
दाना मेथी  दो चम्मच 
कलौंजी  दो चम्मच 
एक पयाज 
दस लहसुन की कली
कपूर दोतीन दुकडे
देशी गुलाब चार
गुलहडके फूल चार
पाँच सात बादाम
अाँवाला पाँच
अलसी पिसी हुई दो चम्मच 
सौ गा्रम नारियल  का तेल
तिल्ली का तेल बीस गा्रम
अरंडी का तेल पाँच गा्रम 

विधि  दानामेथी कलौंजी  बादाम  अलसी को रात भर एक गिलास पानी मे भिगो दे    सुबह तीनों तेल और कपूर  को छोड सब सामान बारीक पिस ले पानी डाल कर एक गिलास तो पहले ही था अब थोडा और लगभग  आधी गिलास  पानी और डाल सकते है फिर इसे छान ले ॥ अब एक बडे बरतन मे नारियल का तेल तिल्ली कातेल और अरंडी का तेल मिला ले  इस तेल मे छान हुआ पानी डाले ।जो पिसने पर छाना था और धीमी आँच पर पकाने दे हिलाना नहीं  है धीमी आँच पर पकने दे पानी उड जायेगा  तेल रह जाए तब गैस बंद  कर दे ।फिर सबसे बाद मे कपूर डालदे तैयार  तेल बोतल मे भर रख ले  तेल पकनेमे करीब  एक घंटा लग जायेगा  ।

All Out

नीम का तेल + कपूर =
  (All Out) तथा मोर्टीन का बाप

★ (All Out) की केमिकल वाली खाली रिफिल आपको आपने घर में मिल जायेगी ! अब बाजार से आपको दो चीज लानी है एक तो नीम का तेल और कपूर !

★ खाली रिफिल में आप नीम का तेल डाले और थोड़ा सा कपूर भी डाल दे और रिफिल को मशीन में लगा दे पूरी रात मच्छर नही आयेगे !

★ जब एक प्राकृतिक तरीके से मच्छरो से छुटकारा मिल जाए तो पेस्टीसाइड का जहर अपने जिंदगी मे क्यो घोल रहे है !

★ मच्छर भगाने वाली क्वायल 100 सिगरेट के बराबर नुकसान करती है ! तो सावधान रहिए मच्छर भगाने का सबसे सस्ता, टिकाऊ, आसान और देसी तरीका है पैसे और स्वास्थ्य दोनों की बचत है !

【नीम का तेल 1 लीटर 250 का व 100 ग्राम असली कपूर केवल 100 रूपए का मिलता है 】

 जिससे गुडनाईट की शीशी 25 बार भर सकती है ! यानि केवल 14 - 15 रूपए में बिना नुक्सान वाली गुडनाईट रिफिल तैयार !

【नोट : ज़्यादा मच्छर हों तो सोने जाने से पहले केवल नीम के तेल का दिया जलाएँ 】

कृप्या इस मैसेज को अपने मित्रों व      जानकारों को अवश्य भेजें या बताएँ