घोड़ बच,
दूधू बच,
खुरासानी बच,
महामारी बच,
कुलिंजन,
आकर करहा,
स्वभाव : इसका स्वभाव गर्म होता है।
हानिकारक : बच गर्म दिमाग वालों के लिए हानिकारक होता है।
दोषों को दूर करने वाला : सौंफ, सिकंजीवन बच के गुणों को सुरक्षित करके इसके दोषों को दूर करता है।
तुलना : इसकी तुलना जराबन्द, लौंग और रेवन्द चीनी से की जा सकती है।
गुण
: यह शरीर के खून को साफ करती है। इससे धातु की पुष्टि होती है। यह कफ
(बलगम) को हटाती है, गैस को समाप्त करती है, दिल और दिमाग तथा कफ के रोगों
से दूर करती है। फालिज और लकवा से पीड़ित रोगियों के लिए बच लाभदायक होता
है। यह गले के आवाज की तुतलाहट और हकलाहट को दूर करती है। बच आमाशय और
मानसिक बीमारियों को खत्म करती है। यह पुट्ठों, आमाशय को मजबूत और
शक्तिशाली बनाता है। दिल को मजबूत करता है। नर्म स्वभाव वाले व्यक्तियों की
आंखों की बीमारियों और दांतों के दर्द को दूर करता है। मनुष्यों की आयु को
बढ़ाता है। वात और कफ को नष्ट करता है तथा याददाश्त और दिमाग को तेज करता
है।
सफेद बच : सफेद बच
याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाता है। यह पेट की पाचन शक्ति को बढ़ाता है। आयु
को बढ़ाता है। यह शरीर में सुदृढ़ और शक्तिशाली वीर्य को बढ़ाता है। यह कफ,
वात और भूत-प्रेत की बाधा को दूर करता है तथा पेट के कीड़ों को खत्म करता
है।
महामारी बच : महामारी
बच बहुत ही तेज गन्ध वाली होती है। इसका प्रयोग कफ, खांसी, गले की आवाज को
शुद्ध और साफ करने में किया जाता है। यह एकाग्रता को बढ़ाने में सहायक होती
है तथा मुंह की दुर्गन्ध को दूर करती है।
घोड़बच : घोड़बच बहुत ही तेज गंध वाली बच कहलाती है। इसका प्रयोग सिर की जुंओं को मारने के लिए किया जाता है।
बच
के चूर्ण के गुण : बच को बारीक पीसकर उसके चूर्ण को कपड़े में छानकर
रोजाना सुबह निराहार पानी अथवा दूध के साथ एक महीने तक लेने से मनुष्य बहुत
ही बुद्धिमान और ज्ञानी होता है। चन्दग्रहण अथवा सूर्य्रगहण के समय
सुगन्धित बच के चूर्ण को दूध के साथ लेने से व्यक्ति अत्यन्त बुद्धिमान और
ज्ञानवान हो जाता है। पारसी कवच या बच खुरासानी के गुण भी बच के समान ही
होते हैं।
No comments:
Post a Comment