टाइफाइड,
डेंगू, चिकन गुनिया,दिमागी बुखार, वायरल फीवर और मलेरिया।किसी भी प्रकार
का बुखार और हैपेटाटस ए बी सी हो या डेंगू बुखार हो....
★यह दवा रामबाण है★
★ यह समान पन्सारी से सुलभ मिल जाता हैं★
★कोरियर से मँगवा सकते हैं★
★3 ग्राम दवा 5000 डेंगू cell निर्मित करती है★
बुखार की रामायण दवा
गिलोय चूर्ण 100 ग्राम
आंवला चूर्ण 100 ग्राम
छोटी हरड़ 100 ग्राम
तुलसी पाचांग-100 ग्राम
चरायता चूर्ण 50 ग्राम
अजमायण-50 ग्राम
मलॅठी-20 ग्राम
सौंठ-20 ग्राम
काली मिर्च -10 ग्राम
सभी चूर्ण को मिलाकर रख ले ।
दिन मे 4 बार 2-2 ग्राम 3-3 घंटे बाद लेते रहे ।
साथ मे दुध भी जरूर ले ।
बुखार मे लगातार 3 दिन दवा ले ।
हैपेटाटस है तो 21 दिन ले
21 दिन के बाद टेस्ट कराए
जब
हमें या घर पर किसी को बुखार होता है तब सबसे पहले हम क्रोसिन या किसी
एंटीबायोटिक से बुखार ठीक करने का प्रयास करते है। इन एलोपैथिक दवाओं से
बुखार में आराम तो मिल जाता है पर ये मेडिसिन्स हमारे लिवर पर बुरा प्रभाव
डालती है।
बुखार का उपचार इसके लक्षणों के आधार पर होता है। कई बार किसी चीज से इंफेक्शन से और कई बार मौसम बदलने के कारण बुखार हो जाता है।
शुरूआती लक्षण को अगर समय पर ही पहचान लिया जाये तो बुखार के असर से बचा जा सकता है और ज़रूरत पड़ने पर इसका इलाज भी कर सकते है।
बुखार
कई प्रकार का होता है जैसे अंदरूनी बुखार, दिमागी बुखार, टाइफाइड, वायरल
फीवर और मलेरिया।किसी भी प्रकार का बुखार और हैपेटाटस ए बी सी हो या
डेंगू बुखार हो.....
चिकन गुनिया में रामायण है यह।
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अगर
बुखार तेज हो तो इस दवा के साथ मरीज के माथे पर ठंडे पानी में भीगी
पट्टियां रखें और ये तबके तक करे जब तक शरीर का temprature कम ना हो जाए।
पट्टी रखने के कुछ देर बाद गरम हो जाती है, ऐसे में थोड़ी देर बाद इसे फिर
से पानी में भिगो कर सिर पर रखे।
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बुखार
से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी ना हो इसलिए जरुरी है पानी
अधिक मात्रा में पिए। पानी में ग्लूकोस घोल कर भी ले सकते है। पानी पीना हो
तो पहले उसे उबाल कर रखे और बाद में इसमें से ही पानी पिए। गुनगुना पानी
पीना जादा बेहतर है।
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बुखार
आने पर रोगी को जादा से जादा आराम करना चाहिए और खाने पिने का भी पूरा
ध्यान रखे। दूध, साबूदाना और मिश्री जैसी हल्की फुलकी चीज़े खाने को दे।
नारियल पानी और मौसमी का जूस पीना भी अच्छा होता है।
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बुखार में परहेज क्या करे
अगर मरीज को वायरल फीवर है तो उसके प्रयोग की हुई चीजों का इस्तेमाल ना करे और रोगी के आस पास सफाई का पूरा ध्यान रखे।
बुखार
से पीड़ित व्यक्ति को अपने पास रुमाल रखना चाहिए और जब भी खाँसी या छींक
आये तब रुमाल का प्रयोग अवश्य करे ताकि वायरस दूसरे लोगों में ना फ़ैल सके।
बुखार में दही और ठंडी चीजें खाने पिने से बचे और हल्का भोजन करे।
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