आयुर्वेदिक उपचार :-
⛔अगर रोगी नया ही है तो केवल अश्वगंधा का बारीक चूर्ण 6-6 gm सुबह शाम गऊ के दूध से लें और महानारायण तैल कि मालिश करे
⛔उपरोक्त 45 दिन करें
⛔bp के बढ़ जाने से जो पक्षाघात हो उसमें तेज दवाएँ कार्य नही करती और bp बढ़ता रहता है और रोगी परेशान ही होता रहता है
⛔लहसुन सिद्ध क्षीर का प्रयोग इस रोग में लाभकारी है ,इसके लिये 5-10 कलियाँ जिनका वजन 5-10 ग्राम हो छिलका उतार कर चटनी बना लें
➡गाय के गरम दूध में से 20ग्राम अलग निकाल कर रख लें उसमें ये चटनी मिला कर थोड़ी कुँजा मीश्री पीसी हुई पायें और पी लें ऊपर से बाकी दूध पी लें
➡रोजाना एक एक कली बढ़ा सकते है जब ये मात्रा 20-25 तक आ जाये फ़िर कम करते जायें
➡ य फ़िर लहसुन की और 250 ml दूध में उबालकर लगभग 125 ml दूध शेष रहने पर पीने को दें ,ये सुबह शाम दें
⛔नये रोगियों को केवल यही दूध को आहार के रुप में दें सकते है
⛔पुराने रोगियों को लघु आहार भी दिया जा सकता है
⛔विरेच्न के लिये रास्नादि क्वाथ में एरण्ड तैल दें
⛔जिन रोगियों को लहसुन से bp बड़े उन्हे सर्पगन्धा दें सकते है या मेरा नुस्खा नम्बर 24 प्रयोग कर सकते है
➡एकांगवीर रस की 1-1 गोली या 2-2 गोली सुबह शाम शहद या वातनाश्क क्वाथ से दें
➡ये रसायन बहुत तीक्ष्ण होता है इसलिए वात प्रधान या कफ वात प्रधान विकारों में विशेष लाभदायक है
➡ये ऊतेजित वायु को शांत करें और दूषित रक्त की सुधारता है
➡ह्रदय को बलवान बनाना इसका प्रधान कार्य है
➡दस्त साफ ना आने पर मेरा नुस्खा नम्बर 11 रात्रि को दें
➡वात रोगॊ में साथ साथ दशमुला रिष्ट ,दश्मूल क्वाथ ,रास्नादि क्वाथ दें
🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴
8⃣चेहरे के लकवे के लिये :-
▶मूँग का आटा एक किलो और आक के जड़ की घास का चूर्ण एक किलो
(ध्यान दें यहाँ सिर्फ आक के जड़ में उगने वाले घास को लेने को कहा है ना कि आक को)दोनों को खरल कर मिला लें
बाद में 200 gm मिश्रित आटे से रोटी बना लें इसको एक ही तरफ़ से सेक्ना है जिस और कच्ची रहे उस पर महा नारायण तैल + महा प्रसारनी तैल चुपड कर बाँध दें
इसको हाथ पेर पर भी बाँध सकते है
⛔अगर रोगी नया ही है तो केवल अश्वगंधा का बारीक चूर्ण 6-6 gm सुबह शाम गऊ के दूध से लें और महानारायण तैल कि मालिश करे
⛔उपरोक्त 45 दिन करें
⛔bp के बढ़ जाने से जो पक्षाघात हो उसमें तेज दवाएँ कार्य नही करती और bp बढ़ता रहता है और रोगी परेशान ही होता रहता है
⛔लहसुन सिद्ध क्षीर का प्रयोग इस रोग में लाभकारी है ,इसके लिये 5-10 कलियाँ जिनका वजन 5-10 ग्राम हो छिलका उतार कर चटनी बना लें
➡गाय के गरम दूध में से 20ग्राम अलग निकाल कर रख लें उसमें ये चटनी मिला कर थोड़ी कुँजा मीश्री पीसी हुई पायें और पी लें ऊपर से बाकी दूध पी लें
➡रोजाना एक एक कली बढ़ा सकते है जब ये मात्रा 20-25 तक आ जाये फ़िर कम करते जायें
➡ य फ़िर लहसुन की और 250 ml दूध में उबालकर लगभग 125 ml दूध शेष रहने पर पीने को दें ,ये सुबह शाम दें
⛔नये रोगियों को केवल यही दूध को आहार के रुप में दें सकते है
⛔पुराने रोगियों को लघु आहार भी दिया जा सकता है
⛔विरेच्न के लिये रास्नादि क्वाथ में एरण्ड तैल दें
⛔जिन रोगियों को लहसुन से bp बड़े उन्हे सर्पगन्धा दें सकते है या मेरा नुस्खा नम्बर 24 प्रयोग कर सकते है
➡एकांगवीर रस की 1-1 गोली या 2-2 गोली सुबह शाम शहद या वातनाश्क क्वाथ से दें
➡ये रसायन बहुत तीक्ष्ण होता है इसलिए वात प्रधान या कफ वात प्रधान विकारों में विशेष लाभदायक है
➡ये ऊतेजित वायु को शांत करें और दूषित रक्त की सुधारता है
➡ह्रदय को बलवान बनाना इसका प्रधान कार्य है
➡दस्त साफ ना आने पर मेरा नुस्खा नम्बर 11 रात्रि को दें
➡वात रोगॊ में साथ साथ दशमुला रिष्ट ,दश्मूल क्वाथ ,रास्नादि क्वाथ दें
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8⃣चेहरे के लकवे के लिये :-
▶मूँग का आटा एक किलो और आक के जड़ की घास का चूर्ण एक किलो
(ध्यान दें यहाँ सिर्फ आक के जड़ में उगने वाले घास को लेने को कहा है ना कि आक को)दोनों को खरल कर मिला लें
बाद में 200 gm मिश्रित आटे से रोटी बना लें इसको एक ही तरफ़ से सेक्ना है जिस और कच्ची रहे उस पर महा नारायण तैल + महा प्रसारनी तैल चुपड कर बाँध दें
इसको हाथ पेर पर भी बाँध सकते है
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