Tuesday, 3 October 2017

सफेद मूसली के चूर्ण की सेवन विधि

सफेद मूसली आयुर्वेद में एक बृहण और बल्य औषधि है जिसका  मतलब है यह शरीर को बल और ऊर्जा प्रदान करती है यह शरीर के सामर्थ्य को बढ़ाती है और शरीर के लिए उत्तम पोषक औषधि है ।

यह पचने में भारी और शीतवीर्य आयुर्वेदिक हर्ब है यह 
 शक्ति की वृद्धि करती है और रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ाती है इस का प्रयोग पुरुषों में अधिक किया जाता है क्योंकि यह मुख्यतः पुरुषों की शक्ति और आंतरिक बल को स्थिर करने वाली व बढ़ाने वाली जड़ी बूटी है  यह शुक्रजनन, बाजीकर और रसायन है यह शुक्र की वृद्धि करती है और इस को गाढ़ा बनाती है। इसके अतिरिक्त यह मांसपेशियों को शक्ति प्रदान करने के लिए प्रभावी है।

सफ़ेद मुसली का उपयोग :मुख्य रूप से सफेद मूसली की मूल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है इसके बीजों का भी प्रयोग होता है आयुर्वेदिक में मुख्य रूप से बल्य और बाजीकरण के लिए जड़ों का ही व्यवहार प्रचलित है यह मूसली पाक का मुख्य घटक है जो इसी मकसद के लिए प्रयोग किया जाता है।

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रासायनिक संरचना : 

मूसली जड़ी बूटी की गांठ वाली जड़ों में ये तत्व पाए जाते हैं जेसे अल्कालोइड्स कार्बोहाईड्रेट प्रोटीन फाइबर सैपोनिन्स मूसली की जड़ों विटामिनयो और खनिजो से भरपूर है  इस में कैल्शियम पोटेशियम और मैग्नीशियम होते है।

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मात्रा : 

सफेद मूसली चूर्ण की औषधीय मात्रा हर व्यक्ति में उम्र शरीर की ताकत और भूख आदि पर निर्भर करती है सफेद मूसली की सामान्य औषधीय मात्रा व खुराक इस प्रकार है बच्चे 25 से 50 मिलीग्राम प्रति किलो वजन अनुसार लेकिन एक बार में 1 ग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए किशोर 13 से वर्ष 1.5 से 2 ग्राम वयस्क 19 से 60 वर्ष 3 से 6 ग्राम वृद्धावस्था 60 वर्ष से ऊपर 2 से 3 ग्राम अधिकतम ।

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सेवन विधि: 

सुबह और शाम भोजन के 2 घंटे बाद दिन में कितनी बार लें 2 बार अनुपान गुनगुने दूध के साथ उपचार की अवधि कम से कम 3 महीने चिकित्सक की सलाह लें यदि बतायी गयी औषधीय मात्रा से भूख में कमी हो तो इसकी मात्रा और कम कर लेनी चाहिए इसकी उतनी मात्रा ले जो आसानी से पच जाये।

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दुष्प्रभाव : 

यदि सफेद मूसली का प्रयोग व सेवन निर्धारित मात्रा में चिकित्सा पर्यवेक्षक के अंतर्गत किया जाए तो सफेद मूसली के कोई दुष्परिणाम नहीं मिलते। यह पचने में भारी है और अधिक मात्रा में यह भूख मार सकती है। सफेद मूसली मुख्य रूप से वात और पित्त दोष पर काम करता है और कफ दोष को यह बढ़ाता है इसलिए इसका प्रयोग कफज विकारो और मोटापे में नहीं करना चाहिए।

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