Showing posts with label गर्भ की रक्षा करना. Show all posts
Showing posts with label गर्भ की रक्षा करना. Show all posts

Tuesday, 24 January 2017

गर्भ की रक्षा करना

चिकित्सा:

1. मुलहठी: जिन स्त्रियों को गर्भपात का भय रहता हो उन्हें मुलहठी पंच, तृण, तथा कमल की जड़ का काढ़ा हर महीने एक सप्ताह दूध में औटाकर घी डालकर पीना चाहिए।

2. नीलोफर: नीलोफर, कमल के फूल, कुमुद के फूल तथा मुलहठी का काढ़ा बनाकर दूध में औटाये तथा इसमें मिश्री मिलाकर पिलाने से गर्भपात होने की संभावना बिल्कुल समाप्त हो जाती है।

3. बिरोजा: बिरोजा और गुलाबी फिटकरी दोनों को मिलाकर लगभग तीऩ ग्राम की मात्रा में देने से गिरता हुआ गर्भ तुरंत रुक जाता है। इस औषधि के सेवन के बाद गर्भवती को पानी नहीं पीने देना चाहिए, बल्कि मिश्री खिलाना चाहिए। साथ ही अन्य गर्भरक्षक उपाय करने चाहिए।

4. वंशलोचन: वंशलोचन आधा-आधा ग्राम की मात्रा में पानी या दूध के साथ सुबह-शाम को सेवन करायें। इससे गर्भपात नहीं होगा और गर्भशक्तिशाली बनता है। इससे गर्भवती स्त्री और बच्चे का स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

5. गंभारी: गंभारी फल और मुलेठी दोनों के बराबर मिश्री मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से गर्भावस्था में बच्चों की रक्षा होती है।

6. कमल: जिनको बार-बार गर्भपात हो जाता है, तो गर्भ स्थापित होते ही नियमित रूप से कमल के बीजों का सेवन करें। कमल की डंडी और नाग केसर को बराबर की मात्रा में पीसकर सेवन करने से पहले के महीनों में होने वाला गर्भस्राव रुकता है।

8. दूब हरी: प्रदर रोग में तथा रक्तस्राव, गर्भपात आदि योनि रोगों में दूब का उपयोग करते हैं। इससे रक्त रुकता है और गर्भाशय को शक्ति मिलती है तथा गर्भ का पोषण करता है।

9. फिटकरी: पिसी हुई फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक जाता है। गर्भपात के समय दर्द और रक्तस्राव हो रहा हो तो हर दो-दो घंटे से एक-एक खुराक दें।

10. मूली: मूली को उबालकर खाने से गर्भ में स्थिरता आती है और गर्भपात नहीं होता है।

11. गुड़हल: सफेद गुड़हल की जड़, गोपीचन्दन, सफेद चिकनी मिट्टी और कुम्हार के काम आने वाली मिट्टी को दूध में पीसकर पिलाने से गर्भस्राव में आराम आता है।

12. अश्वगंधा: गर्भपात की आदत होने पर अश्वगंधा और सफेद कटेरी की जड़ इन दोनों का 10-10 ग्राम रस पहले पांच महीने तक सेवन करने से अकाल में गर्भपात नहीं होगा और गर्भपात के समय सेवन करने से गर्भ रुक जाता है।

13. कटेरी: कटेरी या बड़ी कटेरी की 10-20 ग्राम जड़ों के चूर्ण को 5-10 ग्राम छोटी पीपल के साथ भैंस के दूध में पीस-छानकर कुछ दिनों तक रोज पिलाने से गर्भपात का भय नहीं रहता है और बच्चा स्वस्थ पैदा होता है।