1. कुल्थी : 250 ग्राम कुल्थी को साफ करके
रात को 3 लीटर पानी में भिगो दें। सुबह फुली हुई कुल्थी को उसी पानी के
साथ धीमी आग पर लगभग 4 घंटे तक पकाएं और जब 1 लीटर पानी रह जाए तो उतारकर
इसमें 50 ग्राम देशी घी, सेंधानमक, कालीमिर्च, जीरा व हल्दी का छोंका
लगाएं। यह भोजन के बाद सेवन करने से गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है।
2. लहसुन : लहसुन की पुती के साथ 2 ग्राम जवाखार पीसकर रोगी को सुबह-शाम देने से गुर्दे की पथरी बाहर निकल जाती है।
3. पपीता : 6 ग्राम पपीते की जड़ को पीसकर 50 मिलीलीटर पानी में मिलाकर 21 दिन तक सुबह-शाम पीने से पथरी गल जाती है।
4.
मेंहदी : 6 ग्राम मेंहदी के पत्तों को 500 मिलीलीटर पानी में डालकर
उबालें। जब 150 मिलीलीटर पानी रह जाए तो छानकर 2-3 दिन पीने से गुर्दे का
दर्द ठीक होता है।
5. मूली
: मूली का 100 मिलीलीटर रस मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट सेवन करने से कुछ
दिनों में ही गुर्दे की पथरी गलकर निकल जाती है और दर्द शान्त होता है।
6.
मक्का : मक्के के भुट्टे के 20 ग्राम बालों को 200 मिलीलीटर पानी में
उबालें और जब पानी केवल 100 मिलीलीटर बच जाए तो छानकर पीएं। इससे गुर्दे की
पथरी का दर्द ठीक होता है।
7.
तुलसी : 20 ग्राम तुलसी के सूखे पत्ते, 20 ग्राम अजवायन और 10 ग्राम
सेंधानमक लेकर पॉउड़र बनाकर रख लें। यह 3 ग्राम चूर्ण गुनगुने पानी के साथ
प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से गुर्दे का तेज दर्द दूर होता है।
8. दालचीनी : दालचीनी का चूर्ण बनाकर 1 ग्राम पाउड़र पानी के साथ खाने से गुर्दे का दर्द दूर होता है।
9. खरबूजे : खरबूजे के बीजों को छीलकर पीसकर पानी में मिलाकर हल्का सा गर्म करके पीने से गुर्दो का दर्द खत्म होता है।
10. अजवायन : अजवायन का चूर्ण 3 ग्राम मात्रा में पानी के साथ खाने से पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
11. चौलाई : प्रतिदिन चौलाई का साग बनाकर खाने से पथरी गलकर निकल जाती है।
12.
करेला : करेले के 20 मिलीलीटर रस में शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से पथरी
खत्म होकर पेशाब के रास्ते निकल जाती है। करेले की सब्जी बनाकर रोज खाने से
पथरी खत्म होती है।
13. खीरा : खीरे का रस 150 मिलीलीटर प्रतिदिन 2-3 बार पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।
14. जामुन : प्रतिदिन जामुन खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे खत्म होती है।
15. सहजन : सहजन की सब्जी रोजाना खाने से गुर्दे की पथरी धीरे-धीरे पेशाब के रास्ते निकल जाती है और दर्द ठीक होता है।
16. जवाखार :
गाय के दूध के लगभग 250 मिलीलीटर मट्ठे में 5 ग्राम जवाखार मिलाकर सुबह-शाम पीने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है।
जवाखार
और चीनी 2-2 ग्राम की मात्रा में लेकर पीसकर पानी के साथ खाने से पथरी
टूट-टूटकर पेशाब के साथ निकल जाती है। इस मिश्रण को रोज सुबह-शाम खाने से
आराम मिलता है।
17 कपाल भाति करने से जीवन में कभी भी स्टोन नहीं होगा!
18.
अजमोद : अजमोद के फल का चूर्ण 1 से 4 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से पथरी
रोग में लाभ होता है। ध्यान रहे कि मिर्गी के रोगी और गर्भिणी को यह औषधि न
दें।
19. पाठा : पाठा के जड़ के बारीक चूर्ण को गर्म पानी से छानकर रख लें। इस छाने हुए पानी को सुबह-शाम पीने से पूरा लाभ मिलता है।
20.
चिरचिरी : चिरचिरी की जड़ 5 से 10 ग्राम या काढ़ा 1 से 50 मिलीलीटर सुबह-शाम
मुलेठी, गोखरू और पाठा के साथ खाने से गुर्दे की पथरी खत्म होती है। इसकी
क्षार अगर भेड़ के मूत्र के साथ खाए तो पथरी रोग में ज्यादा लाभ मिलता है।
21. गोक्षुर : गोक्षुर के बीजों का चूर्ण 3 से 6 ग्राम बकरी के दूध के साथ प्रतिदिन 2 बार खाने से पथरी खत्म होती है।
22. लकजन : लकजन की जड़ का काढ़ा 20 से 40 मिलीलीटर सुबह-शाम खाने से पेशाब की पथरी में लाभ मिलता है।
23. बड़ी इलायची : लगभग आधा ग्राम बड़ी इलायची को खरबूजे के बीज के साथ पीसकर पानी में घोटकर सुबह-शाम पीने से पथरी गलकर निकल जाती है।
24. नारियल : नारियल की जड़ का काढ़ा 40 मिलीलीटर दिन में तीन बार पीने से पथरी व दर्द ठीक होता है।
25. बिजौरा नींबू : बिजौरा नींबू की जड़ 10 ग्राम को पीसकर प्रतिदिन सुबह-शाम पिलाने से पेशाब की पथरी खत्म होती है।
26. गुलदाउदी : 10 ग्राम सफेद गुलदाउदी को पीसकर मिश्री मिलाकर पीने से गुर्दे की पथरी का दर्द दूर होता है।
27.
सुहागा : भुना सुहागा, नौसादर और कलमीशोरा 1-1 ग्राम पीसकर दर्द के समय
आधा ग्राम की मात्रा में नींबू के 2-3 चम्मच रस के साथ रोगी को देने से
दर्द ठीक होता है।
28. फिटकरी : भुनी हुई फिटकरी 1-1 ग्राम दिन में 3 बार रोगी को पानी के साथ सेवन कराने से रोग ठीक होता है।
29. अदरक : अदरक का रस 10 मिलीलीटर और भुनी हींग 120 ग्राम पीसकर नमक मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
30.
अजमोद : 25 ग्राम अजमोद को 500 मिलीलीटर पानी में उबालें और आधा रह जाने
पर ठंड़ा करके आधा या 2 कप 3-3 घंटे के अन्तर पर रोगी को पिलाएं। इससे दर्द
तुरन्त समाप्त हो जाता है।
31.
कमलीशोरा : कमलीशोरा, गंधक और आमलासार 10-10 ग्राम अलग-अलग पीसकर मिला लें
और हल्की आग पर गर्म करने के 1-1 ग्राम का आधा कप मूली के रस के साथ
सुबह-शाम लेने से गुर्दे की पथरी में लाभ मिलता है।
32.
काला जीरा : काला जीरा 20 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम और काला नमक 5 ग्राम को
एक साथ पीसकर सिरके में मिलाकर 3-3 ग्राम सुबह-शाम लेने से आराम मिलता है।
33.
आलू : एक या दोनों गुर्दो में पथरी होने पर केवल आलू खाते रहने पर बहुत
लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक मात्रा में
पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं। आलू
में मैग्नीशियम पाया जाता है जो पथरी को निकालता है तथा पथरी बनने से
रोकता है।
34. अनन्नास : अनन्नास खाने व रस पीने से पथरी रोग में बहुत लाभ होता है।
लंबे समय तक पाचन शक्ति ठीक न रहने और मूत्र विकार भी बना रहे तो गुर्दों में कुछ तत्व इकट्ठे होकर पथरी का रूप धारण कर लेते हैं।
पथरी
बन जाने पर गुर्दों में असहनीय दर्द होता है, जो कमर तक जाता है। यदि पथरी
चने के आकार की होगी तो इस उपचार से मूत्र के साथ गलकर निकल जाएगी।
उपचार
: गाजर व मूली के बीज 10-10 ग्राम, गोखरू 20 ग्राम, जवाखार और हजरुल यहूद
5-5 ग्राम, इन सबको कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें। असकी 3-3 ग्राम की पुड़िया
बना लें। एक खुराक 6 बजे, दूसरी खुराक 8 बजे और तीसरी शाम 4 बजे दूध-पानी
की लस्सी के साथ लें।
कुलथी
का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार सुबह 9 बजे और रात को सोने से पहले पिएँ।
काढ़ा बनाने के लिए 20 ग्राम कुलथी को दो कप पानी में डालकर उबालें। ये
दोनों प्रयोग लाभ होने तक लेते रहें।परिचय: इस रोग से पीड़ित रोगी के
मूत्राशय में पथरी हो जाती है जिसके कारण से रोगी व्यक्ति को बहुत अधिक
परेशानी होती है।
मूत्राशय की पथरी के लक्षण-
इस रोग से पीड़ित रोगी दर्द के कारण चीखने-चिल्लाने लगता है।
मूत्राशय
की पथरी से पीड़ित रोगी अपने लिंग और नाभि को हाथ से दबाए रखता है तथा
पेशाब करने के समय में खांसने से वायु के साथ उसका मल भी निकल जाता है।
रोगी का पेशाब बूंद-बूंद करके गिरता रहता है।
रोगी व्यक्ति के पेड़ू में अत्यंत जलन तथा दर्द होता है और उसमें सुई गड़ने जैसी पीड़ा होती है।
रोगी व्यक्ति के हृदय तथा गुर्दे में भी दर्द होता रहता है।
मूत्राशय की पथरी रोग होने के अनेक कारण हैं-
मनुष्य के शरीर में रक्त का दूषित द्रव्य गुर्दों के द्वारा छनकर
पेशाब के रूप में मूत्राशय में जमा होता रहता है जहां वह मूत्र की नलिकाओं
के द्वारा शरीर से बाहर हो जाता है। जब शरीर या मूत्रयंत्रों में किसी
प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाने के कारण उनकी कार्य प्रणाली में कोई गड़बड़ी
हो जाती है तो मूत्राशय के अन्दर आया हुआ दूषित द्रव्य सूखकर पत्थर की तरह
कठोर हो जाता है जिसे मूत्राशय की पथरी का रोग कहते हैं।
जो पुरुष संभोग क्रिया के समय में अधिक आनन्द प्राप्त करने के लिए
स्थानाच्युत या निकलते हुए वीर्य को रोक लेते हैं उन व्यक्तियों का वीर्य
रास्ते में ही अटक कर रह जाता है और बाहर नहीं निकल पाता है। जब अटका हुए
वीर्य वायु लिंग तथा फोतों के बीच में अर्थात मूत्राशय के मुंह पर आकर सूख
जाता है तो वह वीर्य की पथरी कहलाता है।
मूत्राशय की पथरी रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार-
मूत्राशय
की पथरी रोग को ठीक करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने गुर्दे का
उपचार करना चाहिए ताकि गुर्दे का कार्य मजबूत हो सके और मूत्राशय के कार्य
में सुधार हो सके।
रोगी व्यक्ति को उचित भोजन करना
चाहिए तथा शरीर की आंतरिक सफाई करनी चाहिए ताकि गुर्दे तथा मूत्राशय पर
दबाव न पड़े और उनका कार्य ठीक तरीके से हो सके। ऐसा करने से पथरी का बनना
रुक जाता है तथा इसके साथ ही पेट में दर्द या कई प्रकार के अन्य रोग भी
नहीं होते हैं तथा शरीर के स्वास्थ्य में भी सुधार हो जाता है।
रोगी
व्यक्ति को 2-4 दिनों तक पानी में नींबू या संतरे का रस मिलाकर पीना चाहिए
और उसके बाद 2-3 दिनों तक केवल रसदार खट्टे-मीठे फलों का सेवन करना चाहिए।
रोगी व्यक्ति को एनिमा क्रिया करके पेट की सफाई करनी चाहिए। इस प्रकार से
उपचार करने से रोगी के गुर्दों के कार्य में सुधार हो जाता है जिसके
फलस्वरूप पथरी का बनना बंद हो जाता है।
मूत्राशय की
पथरी रोग से पीड़ित रोगी को सुबह के समय में पानी में 1 नीबू का रस मिलाकर
पीना चाहिए तथा इसके बाद नाश्ते में 250 मिलीलीटर दूध पीना चाहिए। फिर इसके
बाद एक गिलास पानी में एक नींबू का रस मिलाकर दोपहर के समय में पीना
चाहिए। रोगी व्यक्ति को दही और भाजी, सलाद तथा लाल चिउड़ा का फल खाना चाहिए
तथा शाम के समय में फलों का रस पीना चाहिए।
रोगी
व्यक्ति को अपनी पाचनक्रिया को ठीक करने के लिए सुबह तथा शाम को टहलना
चाहिए तथा हल्का व्यायाम भी नियमित रूप से करना चाहिए। इसके अलावा रोगी को
14 दिनों के बीच में एक बार उपवास रखना चाहिए। इससे रोगी का रोग ठीक हो
जाता है।
पथरी के रोग से पीड़ित रोगी को एक दिन में कम से कम 5-6 गिलास शुद्ध ताजा जल या फल का रस पीना चाहिए।
पथरी
के रोग को ठीक करने के लिए नारियल, ताड़ और खजूर का ताजा मीठा रस, फलों और
शाक-सब्जियों का रस, दूध, मखनियां, दही तथा मठा पीना लाभदायक होता है।
मूत्राशय
की पथरी को ठीक करने के लिए और भी कई प्रकार के फल तथा औषधियां हैं जिनका
सेवन करने से यह रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है जो इस प्रकार हैं- तरबूज,
खरबूज, खीरा, ककड़ी, मक्खन, गूलर, पका केला, चूड़ा, चावल, गेहूं का दलिया,
कुलथी का पानी, शहद, किशमिश, पिण्ड खजूर, अंजीर, छुहारा, नारियल की गिरी,
मूंगफली तथा बादाम आदि।
पथरी के रोग से पीड़ित रोगी को
मांस, मछली, दाल, अण्डा, चीनी, नमक, पकवान, मिठाई, मिर्च-मसाले, आचार,
चटनी, सिरका आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
पथरी
Calculus
calculus
पथरी
,
अश्म
,
अश्मरी
concretion
पथरी
,
ठोस
,
ठोसपन
salt-cat
पथरी
,
मूत्र आदि के साथ मिला हुआ नमक
,
कबूतरों को परचाने के लिए रखा हुआ नमक
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