१.रोगी के रोग की चिकित्सा करने वाले निकृष्ट , रोग के
कारणों की चिकित्सा करने वाले औसत और रोग-मुक्त रखने वाले श्रेष्ठ चिकित्सक
होते हैं ।
अष्ट्रांग ह्रदयम्
२. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
३. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
४. लो वी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
५. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
६. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है गुड व शहद खाएं
७. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
८. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
९. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
१०. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
११. जम्भाई - शरीर में आक्सीजन की कमी ।
१२. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
१३. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
१४. किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
१५.
गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास
अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे
का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
१६. अस्थमा , मधुमेह , कैसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
१७. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
१८. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
१९. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
२०.
RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी
पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे
बेहतर है ।
२१. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
२२. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
२३. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
२४. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
२५. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
२६.
चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में
जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
२७. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
२८. वात के असर में नींद कम आती है ।
२९. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
३०. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
३१. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
३२.
योग-प्राणायाम- कफ प्रवृति वालों को नहीं करना चाहिए , वात प्रवृति वालों
को थोडा, पित्त प्रवृति वालों को ज्यादा करना चाहिए ।
३३. आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
३४. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
३५. पित्त प्रवृति वालों को प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
३६. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
३७.
व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को
व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी
चाहिए ।
३८. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
३९. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
४०.
निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से
कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
४१. भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
४२. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
४४. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
४५. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
४६.
कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है ।
ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
४७. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
४८. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
४९. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
५०. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
५१. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है ।
५२.
पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम
थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन
ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने
के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
५३. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है
५४. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं
५५. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
५६. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
५७.
ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट
पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
५८. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
५९. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
६०. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
६१. दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
६२. गाय की घी सबसे अधिक पित्तवर्धक व कफ व वायुनाशक है ।
६३. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए । जैसे - प्रेशर कूकर
६४. गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
६५. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
६६.
मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , ३-४ दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए
इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी
में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
६७. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
६८. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
६९. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
७०. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है ।
७१. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें ।
७२. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
७३. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
७४. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
७५. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
७६. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
७७. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
७८. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
७९. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
८०. शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
८१. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
८२. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
८३. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
८४.
एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण
ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक
बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
८५. खाने की बस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
८६ . रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
८७
. छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति
होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए ।
८८. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल के चूसने लगता है ।
८९.
बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है ,
मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग
70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
९०.
चिंता , क्रोध , ईष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे
कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती
है ।
९१. गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
९२.
प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा
देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
९३. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा ।
९४. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए ।
९५. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
९६. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
९७. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है ।
९८ . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है ।
९९.
त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके
अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना । देशी गाय का घी , गौ-मूत्र भी त्रिदोष
नाशक है ।
१००. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है , इसे ना थूके ।
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